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प्रस्तावना
एन० उपाध्ये ने इनके पुराण को गद्यपद्यमय चम्पूग्रन्थ होने का अनुमान किया है। यह अनुमान प्रायः ठीक जान पड़ता है और तभी गुणभद्र द्वारा प्रदत्त 'सकलच्छन्दोऽलङ्कृतिलक्ष्यम्' विशेषण की यथार्थता जान पड़ती है। कविपरमेश्वर का आदिपंप, अभिनवपंप, नयसेन, अग्गलदेव और कमलभव आदि अनेक कवियों ने आदर के साथ स्मरण किया है जिससे वे अपने समय के महान् विद्वान् जान पड़ते हैं। इनका ममय अभी निश्चित नहीं है फिर भी जिनसेन के पूर्ववर्ती तो हैं ही। आदिपुराण' में वर्णित देशविभाग में आये हुए कुछ देशों का परिचय
सुकोसल-मध्यप्रदेश को सुकोसल कहते हैं । इसका दूसरा नाम महाकोसल भी है।
अवन्ती-उज्जैन के पाश्र्ववर्ती प्रदेश को अवन्ती कहते थे । अवन्ती नगरी (उज्बन) उसकी राजधानी थी।
पुष-आजकल के बंगाल का उत्तर भाग पुण्ड्र कहलाता था। इसका दूसरा नाम गौड़ देश भी था।
कह-यह सरस्वती की बायीं ओर अनेक कोसों का मैदान है। इसको कुरुजांगल भी कहते हैं। हस्तिनागपुर इसकी राजधानी रही है।
काशी-बनारस के चारों ओर का प्रान्त इस देश के अन्तर्गत था। इस देश की राजधानी वाराणसी (बनारस) थी।
कलिक-मद्रास प्रान्त का उत्तर भाग और उत्कल (उड़ीसा) का दक्षिण-भाग पहले कलिङ्ग नाम से प्रसिद्ध था। इसकी राजधानी कलिङ्ग नगर (राजमहेन्द्री) थी। इसमें महेन्द्रमाली नामक गिरि है।
मङ्ग-मगध देश का पूर्व भाग अङ्ग कहलाता था। इसकी प्रधान नगरी चम्पा थी जो भागलपुर के पास है।
बग-बङ्गाल का पुराना नाम बङ्ग है। यह सुह्म देश के पूर्व में है। इसकी प्राचीन राजधानी कर्णस्वर्ण (वनसोना) थी। इस समय कालीघट्टपुरी (कलकत्ता) राजधानी है।
सुझ-यह वह देश है जिसमें कपिशा (कोसिया) नदी बहती है। · ताम्रलिप्ति (तामलूक) इसकी राजधानी पी।
काश्मीर-यह प्रान्त भारत की उत्तर सीमा पर है । इसका अब भी काश्मीर ही नाम है। इसकी राजधानी श्रीनगर है।
आनर्त-प्राचीन काल में गुर्जर (गुजरात) के तीन भाग थे : १ आनतं, २ सुराष्ट्र (काठियावाड़) और ३ लाट । आनतं गुर्जर का उत्तर भाग है। द्वारावती (द्वारिका) इसकी प्रधान नगरी है।
वत्स-प्रयाग के उत्तर भाग का मैदान वरस देश कहलाता था। इसकी राजधानी कौशाम्बी (कोसम) थी।
पंचनद-इसका पुराना नाम पंचनद और आधुनिक नाम पंजाब है । इसमें वितस्ता आदि पांच नदियां हैं इसलिए इसका नाम पञ्चनद पड़ा । इसकी पांच नदियों के मध्य में कुलत, मद्र, आरट्ट, यौधेय आदि अनेक प्रदेश थे। लवपुर (लाहौर), कुशपुर (कुशावर), तक्षशिला (टेक्सिला) और मूल-स्थान (मुल्तान) आदि इसके वर्तमानकालीन प्रधान नगर हैं।
१. इस प्रकरण में पं० सीताराम जयराम जोशी एम० ए० और पं० विश्वनाथ शास्त्री भारद्वाज
एम० ए०के 'संस्कृत साहित्य का संक्षिप्त इतिहास' से सहायता ली गयी है।