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विषयानुक्रमणिका
प्रथम अध्याय
विशेषार्थ द्वारा प्रकृत विषय का स्पष्टीकरण
सम्यग्दर्शनकी उत्पत्तिके दो प्रकार मंगलाचरण
1 निसर्ग और अधिगम शब्दको अर्थ तत्त्वार्थसूत्रकी उत्थानिका
1 निसर्गज सम्यग्दर्शन में अर्थाधिगम होता है आत्माका हित मोक्ष है यह बतलाते हुए
या नहीं, इस शंकाका समाधान मोक्षका स्वरूप निर्देश
'तन्निसर्गादधिगमाद्वा' इस सूत्र में आये हुए विभिन्न प्रवादियोंके द्वारा माने गये मोक्षके 'तत्' पदकी सार्थकता स्वरूपका उद्भावन ओर निराकरण
सात तत्त्वों का नाम निर्देश मोक्षप्राप्तिके उपायमें विभिन्न प्रवादियोंका सातों तत्त्वोंके स्वरूपका प्रतिपादन कर उनके विसंवाद और विशेषार्थ द्वारा इन सबका ऋमिक पाठकी सार्थकताका निरूपण कर पुण्य स्पष्टीकरण
2 और पापको ग्रहणकर नव पदार्थ क्यों नहीं मोक्षमार्गका स्वरूपनिर्देश
4 बतलाये इस शंकाका समाधान सम्यक् शब्दकी निरुक्ति, सम्यग्ज्ञान और भाववाची तत्त्व शब्दका द्रव्यवाचक जीवादि सम्यकचारित्रका स्वरूप और 'सम्यक' पदोंके साथ समानाधिकरणका विचार, विशेषणकी सार्थकता
4 विशेष्यके लिंग और संख्याके अनुसार दर्शन, ज्ञान और चारित्रकी निरुक्ति
4 प्रकृतमें विशेषणका भी वही लिंग और कर्ता और करणके एक होने की आपत्तिका संख्या होनी चाहिए, इस आक्षेपका परिहार 12 परिहार
5 नामादि चार निक्षेपोंका प्रतिपादन सूत्र में सर्वप्रथम दर्शन, अनन्तर ज्ञान और नामादि चारों निक्षेपोंका स्वरूप - 13 सबके अन्त में चारित्र शब्द रखने का समर्थन 5 चारों निक्षेपोंके द्वारा जीवतत्त्वका निरूपण 13 'मार्गः' इस प्रकार एकवचन निर्देशकी सार्थकता 5 नामादि निक्षेपविधिकी उपयोगिता सम्यग्दर्शनका लक्षण-निर्देश
6 'नामस्थापना' सूत्रमें प्रयुक्त हुए 'तत्' तत्त्व शब्द की निरुक्ति
6 पदकी सार्थकता अर्थ शब्दकी निरुक्ति
6 विशेषार्थ-द्वारा निक्षेप-विषयक स्पष्टीकरण 14 तत्त्वार्थकी निरुक्ति पूर्वक सम्यग्दर्शनका स्वरूप 6 प्रमाण और नयका निर्देश 'दश' धातुका अर्थ आलोक है फिर श्रद्धान प्रमाणके स्वार्थ और परार्थ ये दो भेद तथा अर्थ कैसे संभव है, इस शंका का समाधान 7 उनका स्वरूप अर्थ-श्रदान या तत्त्व-श्रद्धानको सम्यग्दर्शनका सूत्रमें नयपदके पूर्व प्रमाण पद रखनेका लक्षण मानने पर प्राप्त होने वाली आपत्तियों- कारण के परिहारार्थ तत्त्व और अर्थ दोनों पदोंकी नयका स्वरूप, सकलादेश और विकलाउपयोगिता
7 देशका निर्देश सम्यग्दर्शनके सराग और वीतराग इन दो नयके मूल भेदोंका स्वरूपनिरूपण व उनका भेदोंका स्वरूप
7 विषय
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