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सर्वार्थसिद्धी
[2145 § 348
348 एवं तत्रोक्तलक्षणेषु जन्मसु अमूनि शरीराणि प्रादुर्भावमापद्यमानानि किमविशेषेण भवन्ति, उत कश्चिदस्ति प्रतिविशेष इत्यत आहगर्भसंमूर्च्छन जमाद्यम् ।45।।
§ 349: सूत्रक्रमापेक्षया आदौ भवमाद्यम् । औदारिकमित्यर्थः । यद् गर्भजं यच्च संमूच्छेनजं तत्सर्वमौदारिकं द्रष्टव्यम् ।
8350. तदनन्तरं यन्निर्दिष्टं तत्कस्मिन जन्मनीत्यत आहऔपपादिकं वैक्रियिकम 46
8351. उपपादे भवमौपपादिकम् । तत्सर्वं वैक्रियिकं वेदितव्यम् ।
8352. यद्यौपपादिकं वैक्रियिकम्, अनौपपादिकस्य वैक्रियिकत्वाभाव इत्यत आहलब्धिप्रत्ययं च ||47||
8353. 'च' शब्देन वैक्रियिकमभिसंबध्यते । तपोविशेषादृद्धिप्राप्तिर्लब्धिः । लब्धिः प्रत्ययः कारणमस्य लब्धिप्रत्ययम् । वैक्रियिकं लब्धिप्रत्ययं च भवतीत्यभिसंबध्यते । 8354. किमेतदेव लब्ध्यपेक्षमुतान्यदप्यस्तीत्यत आह
तेजसमपि ॥ 48 ||
8348. इस प्रकार पूर्वोक्त लक्षणवाले इन जन्मोंमें क्या सामान्यसे सब शरीर उत्पन्न होते हैं या इसमें कुछ विशेषता है । इस बातको बतलाने के लिए अब आगेका सूत्र कहते हैं
पहला शरीर गर्भ और संमूर्च्छन जन्मसे पैदा होता है ||45||
349. सूत्रमें जिस क्रमसे निर्देश किया है तदनुसार यहाँ आद्यपदसे औदारिक शरीरका ग्रहण करना चाहिए । जो शरीर गर्भजन्म से और संमूर्च्छन जन्मसे उत्पन्न होता है वह सब औदारिक शरीर है यह इस सूत्र का तात्पर्य है ।
8350. इसके अनन्तर जिस शरीरका निर्देश किया है उसकी उत्पत्ति किस जन्म से होती है अब इस बातका ज्ञान करानेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं
affer शरीर उपपाद जन्मसे पैदा होता है || 46 ||
8351. जो उपपादमें होता है उसे औपपादिक कहते हैं । इस प्रकार उपपाद जन्मसे पैदा होनेवाले शरीरको वैक्रियिक जानना चाहिए ।
8352. यदि जो शरीर उपपाद जन्मसे पैदा होता है वह वैक्रियिक है तो जो शरीर उपपाद जन्मसे नहीं पैदा होता उसमें वैक्रियिकपन नहीं बन सकता । अब इसी बातका स्पष्टी - करण करने के लिए आगेका सूत्र कहते हैं
-
तथा लब्धि से भी पैदा होता है ||47||
8353. सूत्रमें 'च' शब्द आया है। उससे वैक्रियिक शरीरका सम्बन्ध करना चाहिए । तपविशेषसे प्राप्त होनेवाली ऋद्धिको लब्धि कहते हैं । इस प्रकारकी लब्धिसे जो शरीर उत्पन्न होता है वह लब्धिप्रत्यय कहलाता है । वैक्रियिक शरीर लब्धिप्रत्यय भी होता है ऐसा यहाँ सम्बन्ध करना चाहिए ।
8354. क्या यही शरीर लब्धिकी अपेक्षासे होता है या दूसरा शरीर भी होता है । अब इसी बातका ज्ञान करानेके लिए आगे का सूत्र कहते हैं
तेजस शरीर भी लब्धिसे पैदा होता है || 48 |
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