Book Title: Sarvarthasiddhi
Author(s): Devnandi Maharaj, Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 564
________________ 444] सर्वार्थसिद्धि 216 825 473 478 324 453 572 572 588 वेदना आर्तध्यान 882 वेदनीय 737, 849 वेदमार्गणा 34 वैक्रियिकशरीर 330 वैक्रियिकशरीरनाम 755 वैक्रियिकशरीरांगोपांग नाम 755 वैजयन्त वैनयिक (मिथ्यादर्शन) 731 वैमानिक "473 वैयावृत्त्य 632, 656 वैयावृत्त्यतप 857 वैराग्य 684 वैरोचन वैलम्ब 453 वैससिक वैससिक बन्ध वैससिकी 568 व्यञ्जनावग्रह व्यन्तर 462 व्यपगतलेपालांबु व्यय 583 व्यवहार 245 व्यवहार काल 568, 603 व्यवहारपल्य 439 व्याख्याप्रज्ञप्ति 210 व्याघात 356 861 व्युत्सर्गतप 857 व्युपरतक्रियानिति 895 वृष्येष्टरसत्याग 674 663,708 व्रतिन 632 199 विपाकविचय 890 विपाकसूत्र 210 विपुलमतिमनःपर्यय विभंगज्ञान 239 बिमान विमोचितावास 672 विरत 907 विरताविरत 703 विरति 663 विरुद्धराज्यातिक्रम 712 विविक्तशय्यासनतप 855 विकृत विवृतयोनि 324 विवेक 861 विशुद्धि 219, 221 विशेष 588, 624 विशेषार्पणा विश्रेणिगति 314 विश्व 491 विषयनिबन्ध 225 विषयसंरक्षणस्मृतिसमन्वाहार 887-88 विष्कम्भ 380 विसर्प 557 विसवादन 652 विहायोगतिनाम वीचार 905 वीतरागसम्यक्त्व वीप्सा 624 वीर्य 620 वीर्यान्तराय 758 वीर्यानुप्रवाद 210 वत्त 572 वृत्तिपरिसंख्यान 855 वृद्धि 417 वृषभेष्ट 491 वेणुदेव वेणुधारी 453 वेद 362 वेदना 371 शुक्र शब्दनय 246 शब्दप्रवीचार 456 शब्दानुपात 717 शय्यापरीषहक्षमा शर्कराप्रभा 366 शरीर 482, 562 शरीरनाम 755 शरीरपर्याप्तिनाम 755 शरीरोत्सेध 418 शल्य 696 शिखरिन् 386 शीत 570 शीतनाम 755 शीतयोनि 324 शीतवेदनासहन 817 शील 706,708 शीलवतेष्वनतिचार भावना 655 478, 479 शुक्ल 570 शुक्लध्यान 573 शुक्लेश्या 55, 485 शुक्लवर्णनाम 755 शुभनाम 755 शुन्यागारावास 672 शक्ष 865 शोक 629, 750 शौच 632,796 श्रावक 701, 907 402 श्रुत 164,205,301, 633,911 श्रुतकेवलिन् श्रुतज्ञान 207,302 श्रुताज्ञान 239 श्रुतावर्णवाद श्रेणि श्रेणीबद्ध 473 श्रेयस्कर 491 श्रोत्र 932 755 12 व्युत्सर्ग 211 शंका 264 453 शत 634 312 शतसहस्त्र शतार 283 283 478 299 शब्द 298 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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