Book Title: Sarvarthasiddhi
Author(s): Devnandi Maharaj, Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 563
________________ परिशिष्ट 5 [443 364 वसु 584 लक्षण लक्ष्मी लक्ष्य 402 584 584 लघु यश:काल यथाख्यातचारित्र 853 यशःकीर्तिनाम 754 याचनापरीषहसहन 828 युक्तानन्त 545 योग 310, 632, 729 योगदुष्प्रणिधान 719 योगनिग्रह 792 योगमार्गणा 34 योगवक्रता 651 योगविशेष 779 योगस्थान 279 योगिप्रत्यक्ष 178 योजन 394 324 460 755 योनि लक्ष्यलक्षणभाव 570 लघनाम 755 लब्धि 253,295 लब्धिप्रत्यय 252 लवणोद 378 लान्तव 478, 479 लाभान्तराय 759 लिंग 264,363,916,936 लिंगव्यभिचार 243 लेश्या 34,265,266,445 481,917 लेश्याविशुद्धि 480 लोक 276, 545 लोकक्षेत्र 276 लोकपाल लोकपूरण (समुद्घात) 541 लोक बिन्दुमार 210 लोकाक!श 541,548 लोकानुप्रेक्षा 808 लोकानुयोग 369,479 लोभप्रत्याख्यान लोहित लौकान्तिक 488 755 रक्तवर्णनाम रक्ता रक्तोदा रत्नप्रभा वशिष्ट 453 491 वाक्प्राण 288 वाग्गुप्ति 668,793 वाग्दुष्प्रणिधान 719 वाग्निसर्गाधिकरण 626 वाग्योग 610 वाचना 867 वातकुमार वापी 405 वामनसंस्थाननाम वारुणीवरद्वीप 379 वारुणीवरसमुद्र 379 वालुकाप्रभा 366 वास्तु 714 विकलादेश 24 विक्रिया 331 विग्रह 310,314 विग्रहगति 309 विघ्न विचिकित्सा 706 विजय 478 विजयार्ध वितर्क 903 572 विदारण क्रिया 618 विदेह विदेहजन विद्यानप्रवाद 210 विद्याधर 434 विद्युत्कुमार 460 विधान (अनुयोगद्वार) 26 विधि 727 विधिविशेष विनय (तप) 857 विनयसम्पन्नता 655 विपर्यय 233 विपरीत (मिथ्यादर्शन) 731 विपाक 773 विपाकजा (निर्जरा) 778 385 385 369 750 662 449 रति 385 385 वितत 425 रम्यकवर्ष रस रसन (इन्द्रिय) रसनाम रसनप्राण रसपरित्याग रहोऽभ्याख्यान राक्षस राग रुविमन् 670 570 418 299,569 298 755 288 855 711 462 676 385 570, 589 755 535 456 728 रूक्षनाम रूप रूपप्रवीचार रूपानुपात रूपिन् रोगपरिषहसहन रौद्रध्यान वकुश 909 वजनाराचसंहनननाम 755 वर्ण 299, 570 वर्णनाम 755 वर्तना 568 वध 630, 710 वधपरिपक्षमा 827 वनस्पति 303 वह्नि 490 वल यवृत्त 717 535 830 873 434 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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