Book Title: Sarvarthasiddhi
Author(s): Devnandi Maharaj, Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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36. आज्ञापायविपाकसंस्थानविचयाय 'धर्म्यम् ।
37. शुक्ले चाद्य पूर्वविदः ।
38. परे केवलिनः ।
39. पृथक्त्वकत्ववितर्क सूक्ष्म क्रियाप्रतिपातिव्युपरत क्रियानिवर्तीनि' ।
40. त्र्येक' योगकाययोगायोगानाम् ।
सर्वार्थसिद्धौ
41. एकाश्रये सवितर्कवीचारे' पूर्वे ।
42. अवीचारं द्वितीयम् ।
43. वितर्कः श्रुतम् ।
44. वीचारोऽर्थ व्यञ्जनयोगसंक्रान्तिः ।
45. सम्यग्दृष्टिश्रावक विरतानन्तवियोजक दर्शन मोहक्षपकोपशम कोपशान्तमोहक्षपकक्षीण
मोह जिना: क्रमशोऽसंख्येयगुणनिर्जराः ।
46. पुलाकब कुशकुशोलनिग्रन्थस्नातकाः निर्ग्रन्थाः ।
47. संयमश्रुत प्रतिसेवनातीर्थलिंगलेश्यांपपादस्थान 'विकल्पतः साध्याः ।
इति नवमोऽध्यायः ।
दसवाँ अध्याय
1. मोहक्षयाज्ज्ञानदर्शनावरणान्तरायक्षयाच्च केवलम् ।
2. बन्धहेत्वभावनिर्जराभ्यां कृत्स्नकर्मविप्रमोक्षो मोक्षः ।
3. औपशमिकादिभव्यत्वानां च ।
4. अन्यत्र केवल सम्यक्त्वज्ञानदर्शन सिद्धत्वेभ्यः ।
5. तदनन्तरमूर्ध्वं गच्छत्यालोकान्नात् ।
6. पूर्व प्रयोगादसंगत्वाद् वन्धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च । 7. आविद्धकुलालचक्रवद्व्यपगतपालांबुवदेरण्डवी नवदग्निशिखावच्च । 8. धर्मास्तिकायाभावात् ।
9. क्षेत्रकालगतिलिंगतीर्थचारित्र प्रत्येकबुद्ध
साध्याः ।
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कबुद्धबोधितज्ञानावगाह्नान्तरसंख्या पबहुत्वतः
इति दशमोऽध्यायः ।
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1 धर्मप्रमत्तसंयतस्य त. भा. 1 2. इम सूत्रके पूर्व त. भा. में 'उपशान्तक्षीणकपाययोश्च' ऐसा एक सूत्र और है । 3. निवृतीनि त. भा. । 4. तत् त्र्यैककाययोगा- त. भा. । 5. सवितर्के पूर्व त. भा. 1 6. अविचारं त. भा. । 7. लेश्योपपातस्थान त. भा. । 8 त. भा. में 'बन्धत्वभावनिर्जराभ्याम् ||2|| कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः ||3|| इस प्रकारके दो सूत्र हैं। 9. त. भा. में तीसरे चौथे सूत्रके स्थानपर 'ओपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यत्र केवलसम्यक्त्वज्ञानदर्शन सिद्धत्वेभ्यः' ऐसा एक सूत्र है । 10. परिणामाच्च तद्गतिः त. भा. । 11. त. भा. में सातवें और आठवें नम्बर के दो सूत्र नहीं हैं ।
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