Book Title: Sarvarthasiddhi
Author(s): Devnandi Maharaj, Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 508
________________ 388] 36. आज्ञापायविपाकसंस्थानविचयाय 'धर्म्यम् । 37. शुक्ले चाद्य पूर्वविदः । 38. परे केवलिनः । 39. पृथक्त्वकत्ववितर्क सूक्ष्म क्रियाप्रतिपातिव्युपरत क्रियानिवर्तीनि' । 40. त्र्येक' योगकाययोगायोगानाम् । सर्वार्थसिद्धौ 41. एकाश्रये सवितर्कवीचारे' पूर्वे । 42. अवीचारं द्वितीयम् । 43. वितर्कः श्रुतम् । 44. वीचारोऽर्थ व्यञ्जनयोगसंक्रान्तिः । 45. सम्यग्दृष्टिश्रावक विरतानन्तवियोजक दर्शन मोहक्षपकोपशम कोपशान्तमोहक्षपकक्षीण मोह जिना: क्रमशोऽसंख्येयगुणनिर्जराः । 46. पुलाकब कुशकुशोलनिग्रन्थस्नातकाः निर्ग्रन्थाः । 47. संयमश्रुत प्रतिसेवनातीर्थलिंगलेश्यांपपादस्थान 'विकल्पतः साध्याः । इति नवमोऽध्यायः । दसवाँ अध्याय 1. मोहक्षयाज्ज्ञानदर्शनावरणान्तरायक्षयाच्च केवलम् । 2. बन्धहेत्वभावनिर्जराभ्यां कृत्स्नकर्मविप्रमोक्षो मोक्षः । 3. औपशमिकादिभव्यत्वानां च । 4. अन्यत्र केवल सम्यक्त्वज्ञानदर्शन सिद्धत्वेभ्यः । 5. तदनन्तरमूर्ध्वं गच्छत्यालोकान्नात् । 6. पूर्व प्रयोगादसंगत्वाद् वन्धच्छेदात्तथागतिपरिणामाच्च । 7. आविद्धकुलालचक्रवद्व्यपगतपालांबुवदेरण्डवी नवदग्निशिखावच्च । 8. धर्मास्तिकायाभावात् । 9. क्षेत्रकालगतिलिंगतीर्थचारित्र प्रत्येकबुद्ध साध्याः । Jain Education International कबुद्धबोधितज्ञानावगाह्नान्तरसंख्या पबहुत्वतः इति दशमोऽध्यायः । 889 891 893 895 897 899 901 903 905 For Private & Personal Use Only 907 909 919 920 922 924 926 929 931 932 934 1 धर्मप्रमत्तसंयतस्य त. भा. 1 2. इम सूत्रके पूर्व त. भा. में 'उपशान्तक्षीणकपाययोश्च' ऐसा एक सूत्र और है । 3. निवृतीनि त. भा. । 4. तत् त्र्यैककाययोगा- त. भा. । 5. सवितर्के पूर्व त. भा. 1 6. अविचारं त. भा. । 7. लेश्योपपातस्थान त. भा. । 8 त. भा. में 'बन्धत्वभावनिर्जराभ्याम् ||2|| कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः ||3|| इस प्रकारके दो सूत्र हैं। 9. त. भा. में तीसरे चौथे सूत्रके स्थानपर 'ओपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यत्र केवलसम्यक्त्वज्ञानदर्शन सिद्धत्वेभ्यः' ऐसा एक सूत्र है । 10. परिणामाच्च तद्गतिः त. भा. । 11. त. भा. में सातवें और आठवें नम्बर के दो सूत्र नहीं हैं । 936 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568