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290] सर्वार्थसिद्धौ
[71398728मोक्षकारमगुणस्योपः पात्रविशेषः । ततश्च पुण्यफलविशषः क्षित्यादि विशेषाद् बीजफलविशेषवत् ।
इति तत्त्वार्थवत्तौ सर्वार्थसिद्धि संज्ञिकायां सप्तमोऽध्यायः ।।7।।
बीजमें विशेषता आ जाती है वैसे ही विधि आदिककी विशेषतासे दानसे प्राप्त होनेवाले पुण्य फलमें विशेषता आ जाती है।
इस प्रकार सर्वार्थसिद्धि नामक तत्त्वार्थवृत्तिमें सातवाँ अध्याय समाप्त हुआ 11711
1. क्षेत्रादि- मु.।
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