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-5126 $ 576] पंचमोऽध्यायः
[227 तज्जात्याधारानन्तभेदसंसूचनार्थ बहुवचनं क्रियते । अणवः स्कन्धा इति भेदाभिधानं पूर्वोक्त
। स्पशरसगन्धवर्णवन्तोऽणवः । स्कन्धाः पुनः शब्दबन्धसौक्ष्म्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायातपोद्यो नन्तश्च स्पर्शादिमन्तश्चेति ।
8575. आह, किमेषां पुद्गलानामणुस्कन्धलक्षणः परिणामोऽनादिरुत आदिमानित्युच्यते । स खलुत्पत्तिमत्त्वादादिमान्प्रतिज्ञायते । यद्येवं तस्मादभिधीयतां कस्मान्निमित्तादुत्पद्यन्त इति । तत्र स्कन्धानां तावदुत्पत्तिहेतुप्रतिपादनार्थमुच्यते--
मेदसंघातेभ्य उत्पद्यन्ते ॥26॥ 8576. संघातानां द्वितयनिमित्तवशाद्विदारणं भेदः। पृथग्भूतानामेकत्वापत्तिः संघातः । ननु च द्वित्वाद् द्विवचनेन भवितव्यम् । बहुवचननिर्देशस्त्रित'यसंग्रहार्थः । भेदात्संघाताद् भेदसंघाताभ्यां च उत्पद्यन्त इति । तद्यथा-द्वयोः परमाण्वोः संघाताद् द्विप्रदेशः स्कन्ध उत्पद्यते । द्विप्रदेशस्याणोश्च त्रयाणां वा अणूनां संघातात्त्रिप्रदेशः। द्वयोद्विप्रदेशयोस्त्रिप्रदेशस्याणोश्च चतुर्णा वा अणूनां संघाताच्चतुःप्रदेशः । एवं संख्येयासंख्येयानन्तानामनन्तानन्तानां च संघातात्तावत्प्रदेशः । एषामेव भेदात्तावद् द्विप्रदेशपर्यन्ताः स्कन्धा उत्पद्यन्ते । एवं भेदसंघाताभ्याइस प्रकार पुद्गलोंकी इन दोनों जातियोंके आधारभूत अनन्त भेदोंके सूचन करनेके लिए सूत्र में बहुवचनका निर्देश किया है । यद्यपि सूत्रमें अणु और स्कन्ध इन दोनों पदोंको समसित रखा जा सकता था तब भी ऐसा न करके 'अणवः स्कन्धाः ' इस प्रकार भेद रूपसे जो कथन किया है वह इस सूत्रसे पहले कहे गये दो सूत्रोंके साथ अलग अलग सम्बन्ध बतलानेके लिए किया है । जिससे यह ज्ञात हो कि अणु स्पर्श, रस, गन्ध और वर्णवाले हैं परन्तु स्कन्ध शब्द, बन्ध, सौक्षम्य, स्थौल्य संस्थान, भेद, छाया, आतप और उद्योतवाले हैं तथा स्पर्शादिवाले भी हैं।
575. इन पुद्गलोंका अणु और स्कन्धरूप परिणाम होना अनादि है या सादि ? वह उत्पन्न होता है इसलिए सादि है । यदि ऐसा है तो उस निमित्तका कथन करो जिससे अणु और स्कन्ध ये भेद उत्पन्न होते हैं। इसलिए पहले स्कन्धोंकी उत्पत्तिके हेतुका कथन करनेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं
भेदसे, संघातसे तथा भेद और संघात दोनोंसे स्कन्ध उत्पन्न होते हैं ॥26॥
8576 अन्तरंग और बहिरंग इन दोनों प्रकारके निमित्तोंसे संघातोंके विदारण करनेको भेद कहते हैं । तथा पृथग्भूत हुए पदार्थों के एकरूप हो जानेको संघात कहते हैं। शंका--भेद और संघात दो हैं, इसलिए सूत्रमें द्विवचन होना चाहिए ? समाधान-तीनका संग्रह करनेके लिए सूत्रमें बहुवचनका निर्देश किया है । जिससे यह अर्थ सम्पन्न होता है कि भेदसे, संघातसे तथा भेद और संघात इन दोनोंसे स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । खुलासा इस प्रकार है-दो परमाणुओंके संघातसे दो प्रदेशवाला स्कन्ध उत्पन्न होता है। दो प्रदेशवाले स्कन्ध और अणुके संघातसे या तीन अणुओंके संघातसे तीन प्रदेशवाला स्कन्ध उत्पन्न होता है। दो प्रदेशवाले दो स्कन्धोंके संघातसे, तीन प्रदेशवाले स्कन्ध और अणुके संघातसे या चार अणुओंके संघातसे चार प्रदेशवाला स्कन्ध उत्पन्न होता है। इस प्रकार संख्यात, असंख्यात, अनन्त और अनन्तानन्त अणुओंके संघातसे उतने उतने प्रदेशोंवाले स्कन्ध उत्पन्न होते हैं। तथा इन्हीं संख्यात आदि परमाणुवाले स्कन्धोंके भेदसे दो प्रदेशवाले स्कन्ध तक स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । इसी प्रकार एक समयमें होनेवाले भेद 1. तृतीय- मु.। 2. -ख्येयानन्तानां च संघा- ता., ना.। 3. भेदाद्विप्रदे- ता., आ., दि. 1, दि. 2 ।
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