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234] सर्वार्थसिद्धौ
[5136 $594$ 594. 'सदृश'ग्रहणं तुल्यजातीयसंप्रत्ययार्थम् । 'गुणसाम्य'ग्रहणं तुल्यभागसंप्रत्ययार्थम् । एतदुक्तं भवति–द्विगुणस्निग्धानां द्विगुणरूक्षेः त्रिगुणस्निग्धानां द्विगुणरूक्षः द्विगुणस्निग्धानां द्विगुणस्निग्धैः द्विगुणरूक्षाणां द्विगुणरूक्षश्चैत्येवमादिषु नास्ति बन्ध इति । यद्येवं 'सदृश'ग्रहणं किमर्थम् ? गुणवैषम्ये सदृशानामपि बन्धप्रतिपत्त्यर्थं 'सदृश'ग्रहणं क्रियते।
8595. अतो विषमगुणानां तुल्यजातीयानामतुल्यजातीयानां चानियमेन बन्धप्रसक्तौ' इष्टार्थसंप्रत्ययार्थमिदमुच्यते
दृयधिकादिगुणानां तु ॥36॥ 8596. द्वाभ्यां गुणाभ्यामधिको द्वयधिकः । कः पुनरसौ ? चतुर्गुणः। 'आदि'शब्दः प्रकारार्थः । कः पुनरसौ प्रकारः ? द्वयधिकता। तेन पञ्चगणादीनां संप्रत्ययो न भवति । तेन द्वयधिकादिगुणानां तुल्यजातीयानामतुल्यजातीयानां च बन्ध उक्तो भवति नेतरेषाम् । तद्यथाद्विगुणस्निग्धस्य परमाणोरेकगुणस्निग्धेन द्विगुणस्निग्धेन त्रिगुणस्निग्धेन वा नास्ति बन्धः । चतुर्गुणस्निग्धेन पुनरस्ति बन्धः । तस्यैव पुनद्विगुणस्निग्धस्य पञ्चगुणसिनग्धेन षट् सप्ताष्टसंख्येयानन्तगणस्निग्धेन वा बन्धो नास्ति। एवं त्रिगुणस्निग्धस्य पञ्चगणस्निग्धन बन्धोऽस्ति । शेषः पूर्वोत्तरं भवति। चतुर्गुणस्निग्धस्य षड्गुणस्निग्धेनास्ति बन्धः। शेषैः पूर्वोत्तर
8594. तुल्य जातिवालोंका ज्ञान करानेके लिए सदृश पदका ग्रहण किया है । तुल्य शक्त्यंशोंका ज्ञान करानेके लिए 'गुणसाम्य' पदका ग्रहण किया है । तात्पर्य यह है कि दो स्निग्ध शक्त्यंशवालोंका दो रूक्ष शक्त्यंशवालोंके साथ, तीन स्निग्ध शक्त्यंवालोंका तीन रूक्ष शक्त्यंशवालोंके साथ, दो स्निग्ध शक्त्यंशवालोंका दो स्निग्ध शक्त्यंशवालोंके साथ. दो रूक्ष शक्त्यशवालोंका दो रूक्ष शक्त्यंशवालोंके साथ बन्ध नहीं होता। इसी प्रकार अन्यत्र भी जानना चाहिए। शंका-यदि ऐसा है तो सूत्रमें 'सदृश' पद किसलिए ग्रहण किया है ? समाधान--शक्त्यंशोंकी असमानताके रहते हुए बन्ध होता है इसका ज्ञान करानेके लिए सूत्रमें सदृश पद ग्रहण किया है।
8595. इस पूर्वोक्त कथनसे समानजातीय या असमानजातीय विषम शक्त्यंशवालोंका अनियमसे बन्ध प्राप्त हुआ, अतः इष्ट अर्थका ज्ञान करानेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं
दो अधिक आदि शक्त्यंशवालोंका तो बन्ध होता है ॥360
8596. जिसमें दो शक्त्यंश अधिक हों उसे द्वयधिक कहते हैं । शंका-वह द्वयधिक कौन हुआ ? समाधान—चार शक्त्यंशवाला । सूत्रमें आदि शब्द प्रकारवाची है। शंका-वह प्रकार रूप अर्थ क्या है ? समाधानद्वयधिकपना । इससे पाँच शक्त्यंश आदिका ज्ञान नहीं होता। तथा इससे यह भी तात्पर्य निकल आता है कि समानजातीय या असमानजातीय दो अधिक आदि शक्त्यंशवालोंका बन्ध होता है दूसरोंका नहीं। जैसे दो स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणका एक स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणु के साथ, दो स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणु के साथ और तीन स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता। हाँ, चार स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणुके साथ अवश्य बन्ध होता है । तथा उसी दो स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणुका पाँच स्निग्ध शक्त्यंवाले परमाणु के साथ, इसी प्रकार छह, सात, आठ,संख्यात, असंख्यात और अनन्त स्निग्ध शक्त्यंश वाले परमाणुके साथ बन्ध नहीं होता । इसी प्रकार तीन स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणुका पाँच स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणु के साथ बन्ध होता है। किन्तु आगे-पीछेके शेष स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणुके साथ बन्ध नहीं होता । चार स्निग्ध शक्त्यंशवाले परमाणुका छह स्निग्ध शक्त्यंश वाले 1. --सक्तो विशिष्टा मु. ।
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