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सर्वार्थसिद्धि
सम्यग्ज्ञानके पांच भेदोंका स्वरूप भतिज्ञानादिक्रमसे पाठ रखनेका कारण वे पाँचों ज्ञान दो प्रमाणरूप हैं इस बातका निर्देश
कर्ष और इन्द्रियकी प्रमाणताका निराकरण ज्ञानके फलका निरूपण विशेषार्थ द्वारा सन्निकर्ष और इन्द्रियको प्रमाण मानने पर उठनेवाले दोषोंका स्पष्टीकरण और उनका परिहार परोक्षज्ञानका प्रतिपादन परोक्षका स्वरूप प्रत्यक्षज्ञानका प्रतिपादन प्रत्यक्षका स्वरूप विभंगशानकी प्रमाणताका निराकरण इन्द्रिय-व्यापारजनित ज्ञानको प्रत्यक्ष मानने में दोष मतिज्ञानके पर्यायवाची नामोंका प्रतिपादन मति, स्मति और चिन्तादि नामोंकी निरुक्ति व तात्पर्य मतिज्ञानकी उत्पत्तिका निमित्त इन्द्रिय और अनिन्द्रियका स्वरूप तत् पदकी सार्थकता मतिज्ञानके भेद अवग्रह आदिका स्वरूप अवग्रहादिके विषयभूत पदार्थोके भेद बहुआदिका स्वरूप बहु और बहुविध अन्तर उक्त और निःसृतमें अन्तर 'क्षिप्रनिःसृत' पाठान्तरकी सूचना और उसका अर्थ घ्र वावग्रह और धारणामें भेद बहु आदि अर्थके अवग्रह आदि होते हैं अर्थ पद देने की सार्थकता व्यञ्जन का अवग्रह ही होता है व्यञ्जन शब्दका अर्थ व्यञ्जनावग्रह और अर्थावग्रहमें भेद व्यञ्जनावग्रह चक्षु और मनसे नहीं होता आगम और युक्तिसे चक्षु और मनकी अप्राप्यकारिताको सिद्धि
67 श्रुतज्ञानका स्वरूप और उसके भेद 68 मतिपूर्वक श्रतज्ञानके मानने में आनेवाली
आपत्तियोंका परिहार 69 श्रुत नयभेदसे कथंचित् अनादिनिधन और
कथंचित् सादि है श्रुतपूर्वक भी श्रुतज्ञान उत्पन्न होता है इस आशंकाका समाधान श्रुतके भेद व उनका कारण
विशेषार्थ द्वारा श्रुतज्ञानका स्पष्टीकरण 70 भवप्रत्यय अवधिज्ञान के स्वामी
भवप्रत्यय कहनेका कारण 72 क्षयोपशम निमित्तक अवधिज्ञानके स्वामी 73 अवधिज्ञानके छह भेद व उनका स्वरूप 73 मनःपर्ययज्ञानके भेद और स्वरूप 73 ऋजुमति और विपुलमतिका अर्थ
इन दोनों ज्ञानोंका क्षेत्र और कालकी 74 अपेक्षा विषय 76 ऋजुमति और विपुलमति मनःपर्यय
ज्ञानमें अन्तर 76 विशुद्धि और अप्रतिपातका अर्थ 77 विशुद्धि और अप्रतिपातके द्वारा दोनों ज्ञानोंमें 77 अन्तरका विशेष कथन 78 अवधिज्ञान और मनःपर्ययज्ञानमें विशेषता 79 विशुद्धि आदिके द्वारा दोनों ज्ञानों में अन्तरका 79 विशेष स्पष्टीकरण 80 मतिज्ञान और श्रुतज्ञानका विषय 80 मतिज्ञानकी अरूपी द्रव्यों में मनसे प्रवृत्ति 80
होती है 81 अवधिज्ञानका विषय
मनःपर्ययज्ञानका विषय 81 केवलज्ञानका विषय 81 एक जीवमें एक साथ संभव ज्ञानोंका निरूपण 82 मिथ्याज्ञानोंका निरूपण 82 मिथ्याज्ञानके कारणोंका निरूपण 82 कारण विपर्यास भेदाभेदविपर्यास और 83 स्वरूपविपर्यासका वर्णन 83 नयोंके भेद 83 नयका स्वरूप
100 नंगमनयका स्वरूप
100 84 संग्रहनयका स्वरूप
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