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56] सर्वार्थसिद्धौ
[118 8 1228122. दर्शनानुवादेन चक्षुर्दर्शनिषु मिथ्यादृष्टः सामान्यवत् । सासादनसम्यग्दृष्टिसम्यग्मिथ्यादष्टयोनानाजीवापेक्षया सामान्यवत। एकजीवं प्रति जघन्येन पल्योपमासंख्येयभागोऽन्तमुहूर्तश्च । उत्कर्षेण द्वे सागरोपमसहस्र देशोने । असंयतसम्यग्दृष्टयाधप्रमतान्तानां नानाजीवापेक्षया नास्त्यन्तरम । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तमुहूर्तः उत्कर्षेण द्वे सागरोपमसहने देशोने । चतुर्णामुपशमकानां नानाजीवापेक्षया सामान्योक्तम् । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तमुहूर्तः। उत्कर्षेण द्वे सागरोपमसहस्र देशोने । चतुर्णां क्षपकाणां सामान्योक्तम् । अचक्षुर्दर्शनिषु मिथ्यादृष्टयादिक्षीणकषायान्तानां सामान्योक्तमन्तरम् । अवधिदर्शनिनोऽवधिज्ञानिवत् । केवलदर्शनिनः केवलज्ञानिवत् ।
8123. लेश्यानुवादेन कृष्णनीलकापोतलेश्यासू मिथ्यादृष्टयसंयतसम्यग्दष्टयो नाजीवापेक्षया नास्त्यातरम । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तम हर्तः। उत्कर्षेण त्रस्त्रिशत्सप्तदशसप्तसागसेपमाणि देशोनानि । सासादनसम्यग्दृष्टिसम्यग्मिथ्यादृष्टयो नाजीवापेक्षया सामान्यवत् । एकझीवं प्रति जघन्येन पल्योपमासंख्येयभागोऽन्तमुहूर्तश्च । उत्कर्षेण त्रयस्त्रिशत्सप्तदशसप्तसागरोपमाणि देशोनानि।
8122. दर्शनमार्गणाके अनुवादसे चक्षुदर्शनवालोंमें मिथ्यादृष्टिका अन्तर ओघके समान है। सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्याष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर ओघके समान है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर क्रमशः पल्योपमक। असंख्यातवाँ भाग और अन्तर्मुहूर्त है तथा उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम दो हजार सागरोपम है। असंयतसम्यग्दृष्टिसे लेकर अप्रमत्तसंयत तक प्रत्येक गुणस्थानका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर अन्तमूहर्त और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम दो हजार सागरोपम है। चारों उपशमकोंका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर ओघके समान है । एक जीवको अपेक्षा जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टः अन्तर कुछ कम दो हजार सागरोपम है । चारों क्षपकोंका अन्तर ओघके समान है। अचक्षुदर्शनवालोंमें मिथ्यादृष्टिसे लेकर क्षीणकषाय तक प्रत्येक गुणस्थानका सामान्योक्त अन्तर है। अवधिदर्शनवालोंका अवधिज्ञानियोंके समान अन्तर है। तथा केवलदर्शनवालोंके केवलज्ञानियोंके समान अन्तर है।
8123. लेश्या मार्गणाके अनुवादसे कृष्ण, नील और कापोत लेश्यावालोंमें मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर अन्तम हर्त और उत्कृष्ट अन्तर क्रमशः कुछ कम तेतीस सागरोपम, कुछ कम सत्रह सागरोपम और कुछ कम सात सागरोपम है। सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर ओघके समान है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर दोनों गुणस्थानोंमें क्रमशः पल्योपमका असंख्यातवाँ भाग और अन्तर्मुहूर्त तथा उत्कृष्ट अन्तर तीनों लेश्याओंमें क्रमशः कुछ कम तेतीस सागरोपम, कुछ कम सत्रह सागरोपम और कुछ कम सात सागरोपम है।
+सामान्यवत । एव-मु.। 2. चक्षुदर्शनवालोंमें सासादनके नौ अन्तम हर्त और आवलिका असंख्यातवाँ भाग कम सम्यग्मिथ्यादृष्टि के बारह अंतर्मुहुर्त कम दो हजार सागरोपम उत्कृष्ट अंतर है। 3. चक्षुदर्शनवालोंमें अविरतसम्यग्दष्टिके 10 अंतम हर्त कम संयतासंयतके 48 दिन और 12 अंतमहत कम, प्रमत्तसंयत के 8 वर्ष 10 अन्तर्मुहूर्त कम और अप्रमत्त संयतके भी 8 वर्ष और 10 अन्तर्मुहूर्त कम दो हजार सागरोपम उत्कृष्ट अंतर है। 4. चक्षुदर्शनवालोंमें चारों उपशमकोंका क्रमसे 29, 27, 25 और 23 अंतमहत तथा आठ वर्ष कम दो हजार सागरोपम उत्कृष्ट अंतर है।
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