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सर्वार्थसिद्धौ
[118 § 131
8.131. आहारानुवादेन आहारकेषु मिथ्यादृष्टेः सामान्यवत् । सासादनसम्यग्दृष्टिसम्यङ्मिथ्यादृष्ट योननाजीवापेक्षया सामान्यवत् । एकजीवं प्रति जघन्येन पत्योपमासंख्येयभागोऽन्तमुहूर्तश्च । उत्कर्षेणाङ्गुला संख्येय भागोऽसंख्ये या संख्येया' उत्सर्पिण्यवसर्पिण्यः । असंयतसम्यग्दृष्टचप्रमत्तान्तानां नानाजीवापेक्षया नास्त्यन्तरम् । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेणाङ्गुलासंख्येयभागोऽसंख्येया' उत्सर्पिण्यवरा पिण्यः । चतुर्णामुपशमकानां नानाजीवापेक्षया सामान्यवत् । एकजीवं प्रति जधन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेणाङ्गुला संख्येयभागोऽसंख्ये यासंख्येया' उत्सर्पिण्यवसपिण्यः । चतुर्णां क्षपकाणां सयोगकेवलिनां च सामान्यवत् ।
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$ 132. अनाहारकेषु मिथ्यादृष्टेर्नानाजीबापेक्षया एकजीवापेक्षया च नास्त्यन्तरम् । सासादनसम्यग्दृष्टेर्नानाजीवापेक्षया जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेण पल्योपमासंख्येयभागः । एकजीवं प्रति नास्त्यन्तरम् । असंयतसम्यग्दृष्टेर्नानाजीवापेक्षया जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेण मासपृथeet | एकजीवं प्रति नास्त्यन्तरम् । सयोगकेबलिनः नानाजीवापेक्षया जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेण वर्षपृथक्त्वम् । एकजावं प्रति नास्त्यन्तरम् । अयोगकेवलिनः नानाजीवापेक्षया जघन्येनैकः भ्रमयः । उत्कर्षेण षण्मासाः । एकजीवं प्रति नास्त्यन्तरम् । अन्तरभवगतम् ।
9 133. भावो विभाव्यते । स द्विविधः सामान्येन विशेषेण च । सामान्येन तावत्
मिथ्या
$ 131. आहार मार्गणाके अनुवादसे आहारकोंमें मिथ्यादृष्टिका अन्तर ओघके समान है । सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर ओघके समान है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर क्रमशः पल्योपमका असंख्यातवाँ भाग और अन्तर्मुहूर्त है तथा उत्कृष्ट अन्तर अंमुलका असंख्यातवाँ भाग है जिसका प्रमाण असंख्यातासंख्यात उपसर्पिणी और अवसर्पिणी है । असंयतसम्यग्दृष्टिसे लेकर अप्रमत्तसंयत तक प्रत्येक गुणस्थानका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं है। एक जीवको अपेक्षा जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर अंगुल का असंख्यातवाँ भाग है जिसका प्रमाण असंख्यातासंख्यात उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी है । चारों उपशमकोंका नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर ओधके समान है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर अंगुलका असंख्यातवां भाग है जिसका प्रमाण असंख्यातासंख्यात उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी है। चारों क्षपक और सयोगकेवलियोंका अन्तर ओके समान है ।
8132. अनाहारकोंमें मिथ्यादृष्टिका नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नहीं है । सासादनसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नहीं है। असंयतसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर मासपृथक्त्व है। एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नहीं है । सयोगकेवलीका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्व है। एक जीवको अपेक्षा अन्तर नहीं है । अयोगकेवलीका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर छह महीना है। एक जीवकी अपेक्षा. अन्तर नहीं है । इस प्रकार अन्तरका विचार किया ।
6 133. अब भावका विचार करते हैं। वह दो प्रकारका है-सामान्य और विशेष ।
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1. -भागा असंख्येया उत्स - मु. 12. भावः उक्तं च--मिच्छे खलु ओदइओ विदिए पुण पारिणामिओ भावो । मिस्से समिको अविरदसम्मम्मि तिप्लेव ॥1॥ असं - मु. ।
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