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प्रथमोऽध्यायः
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पेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेण यथासंख्यं एक-त्रि-सप्त-दशसप्तदश-द्वाविंशति त्रयस्त्रशत्सागरोपमाणि । सासादनसम्यग्दृष्टः सम्यग्मिथ्यादृष्टेश्च सामान्योक्तः कालः । असंयतसम्यग्दृष्टेर्नानाजीवापेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्ये नान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेण उक्त एवोत्कृष्टो देशोनः ।
92. तितिरश्चां मिध्यादृष्टीनां नानाजीवापेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेणानन्तः कालोऽसंख्येयाः पुद्गलपरिवर्ताः । सासादनसम्य दृष्टिसभ्यमिथ्यादृष्टिसंयतासंयतानां सामान्योक्तः कालः । असंयतसम्यग्दृष्टेर्नानाजीवापेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्महर्तः । उत्कर्षेण त्रीणि पल्योपमानि ।
६९३. मनुष्यगतौ मनुष्येषु मिथ्यादृष्टेर्नानानाजीवापेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेण त्रीणि पल्योपमानि पूर्वकोटीपृथक्त्वैरभ्यधिकानि । सासादनसम्यदृष्टेर्नानाजीवापेक्षया जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेणान्तर्मुहूर्तः । एकजीवं प्रति जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेण षडावलिकाः । सम्यग्मिथ्यादृष्टेर्नानाजीवापेक्षया एकजीवापेक्षया न जघन्यश्चोत्कृष्टवियों में मिथ्यादृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य का अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल क्रमश: एक, तीन, सात, दस, सत्रह, बाईस और तेतीस सागरोपम है । सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टिका काल ओघ के समान है । असंयतसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल कुछ कम अपनी अपनी उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण है ।
892 तिर्यंचगति में मिथ्यादृष्टि तिर्यंचोंका नानाजीवोंकी अपेक्षा सब काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अनन्त काल है जो असंख्यात पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है । सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और संयतासंयत तिर्यंचोंका सामान्योक्ति काल है । असंयतसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल तीन पल्योपम है ।
893. मनुष्यगति में मनुष्यों में मिथ्यादृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सत्र काल है । एक जीवको अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल पूर्वकोटि पृथक्त्व से अधिक तीन पल्योपम है । सासादनसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल छह आवली है । सम्यग्मिथ्यादृष्टिका नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । असंयतसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है । एक जीवकी • अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल साधिक तीन पल्योपम है । तथा संयता
1. अन्तर्मुहूर्त कम । इतनी विशेषता है कि प्रारम्भके छह नरकोंमें मिथ्यात्वके साथ उत्पन्न करावे फिर अन्तर्मुहूर्त बाद सम्यक्त्वको उत्पन्न कराकर जीवन भर सम्यक्त्वके साथ रखकर उत्कृष्ट काल प्राप्त करे । परन्तु सातवें नरकमें प्रवेश और निर्गम दोनों ही मिध्यात्वके साथ करावे । 2. यहाँ असंख्यातसे आवलिका असंख्यातवाँ भाग लिया गया है। 3. यहाँ पूर्वकोटि पृथक्त्वसे सैंतालीस पूर्वकोटियों का ग्रहण किया है । यद्यपि पृथक्त्व यह तीनसे ऊपर और नौसे नीचेकी संख्याका द्योतक है तथापि यहाँ बाहुल्यकी अपेक्षा पृथक्त्व पदसे संतालीसका ग्रहण किया है। 4. यहाँ साधिक पदसे कुछ कम पूर्वकोटिका त्रिभाग लिया गया है । उदाहरणार्थ – एक पूर्वकोटिके आयुवाले जिस मनुष्यने त्रिभागमें मनुष्यायुका बन्ध किया । फिर अन्तमुहूर्त में सम्यक्त्वपूर्वक क्षायिकसम्यग्दर्शनको प्राप्त किया और आयुके अन्तमें मरकर तीन पल्यकी आयुके साथ उत्तम भोगभूमिमें पैदा हुआ उसके अविरत सम्यग्दृष्टिका उत्कृष्ट काल प्राप्त होता है ।
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