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40] सर्वार्थसिद्धौ
[118891सानः सादिः सपर्यवसानश्चेति । तत्र सादिः सपर्यवसानो जयन्येनान्तर्मुहूर्तः। उत्कर्षेणार्धपुद्गलपरिवर्तों देशोनः । सोसादनसम्यादृष्टे नाजीवापेक्षया जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेण पल्योपमासंख्येयभागः । एकजीवं प्रति जघन्ये नैकः समयः । उत्कर्षेण षडावलिकाः । सम्यमिथ्यादृष्टे नाजीवापेक्षया जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेण पल्योपमासंख्येयभागः । एकजीवं प्रति जघन्यः उत्कृष्टश्चान्तर्मुहर्त्तः । असंयतसम्य दृष्टेनानाजीवापेक्षया सर्वः कालः । एक जीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहर्तः । उत्कर्षेण बर्यास्त्रशत्सागरोपमाणि सातिरेकाणि । संयतासंयतस्य नानाजीवापेक्षया सर्वः कालः । एकजीवं प्रति जघन्ये नान्तर्मुहर्त्तः । उत्कर्षेण पूर्वकोटी देशोना । प्रमताप्रमतयो नाजीवापेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेणान्तर्मुहूर्तः । चतुर्णामुपशमकानां नानाजीवापेक्षया एक जीवापेक्षया च जघन्येनैकः समयः । उत्कर्षेणान्तर्मुहर्तः । चतुर्णा क्षपकाणमयोगकेवलिनां च नानाजीवापेक्षया एकजीवापेक्षया च जघन्यश्चोत्कृष्टश्चान्तर्मुहर्तः। सयोगकेवलिनां नानाजीवापेक्षया सर्वकालः । एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । उत्कर्षेण पूर्वकोटी देशोना ।
91. विशेषेण गत्यनुवादेन नरकगतौ नारकेषु सप्तसु पृथिवीषु मिथ्यादृष्टे नाजीवाजीव सदा पाये जाते हैं । एक जीवकी अपेक्षा तीन भंग हैं—अनादि-अनन्त, अनादि-सान्त और सादि-सान्त । इनमें से सादि-सान्त मिथ्यादष्टिका जघन्य काल अन्तमुहुर्त है और उत्कृष्ट काल कुछ कम अर्धपुद्गल परिवर्तन है । सांसादनसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल छह आवलि है। सभ्यग्मिथ्यादष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तम हर्त है और उत्कृष्ट काल पल्योपमका असंख्यातवाँ भाग है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । असंयतसम्यग्दृष्टिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है। एक जीवको अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल साधिक तेतीस सागरोपम है। संयतासंयतका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तमहतं और उत्कृष्ट काल कुछ कम एक पूर्वकोटि है। प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयतका नाना जीवोंकी अपेक्षा सब काल है और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है। चारों उपशमोंका नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समर" है और उत्कृष्ट काल अन्तमूहर्त है। चारोंक्षपक और अयोगकेवलियोंका नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तम हर्त है। सयोगकेवलियों का नाना जीवों की अपेक्षा सब काल है । एक जोवकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तमहर्त है और उत्कृष्ट काल कुछ कम एक पूर्वकोटि है।
91. विशेषकी अपेक्षा गति मार्गणाके अनुवादसे नरक गतिमें नारकियोंमें सातों पथि1. -हर्तः । तिगिण सहसा सत्त य सदाणि तेहरि च उस्मासा । एसो हवइ मुहुत्तो सम्वेसि चेव मणुयाणं ।' उत्क--म । 2. जो उपशम श्रेणिवाला जीव मर कर एक समय कम तेतीस सागरकी आयु ले कर अनुत्तर विमानमें पैदा होता है। फिर पूर्वकोटिकी आयुवाले मनुष्योंमें पैदा होकर जीवनभर असंयमके साथ रहा है। केवल जीवन में अन्त मुहूर्त काल शेष रहनेपर सयमको प्राप्त होकर सिद्ध होता है। उसके असंयत सम्यग्दृष्टिका उत्कृष्ट काल प्राप्त होता है। यह काल अन्तर्मुहूर्त कम एक पूर्वकोटि अधिक एक समय कम तेतीस सागर है। 3. पूर्वकोटि की आयु वाला जो सम्मूछिम तिर्यच उत्पन्न होनेके अन्तम हर्त बाद वेदक सम्यक्त्वके साथ संयमासंयमको प्राप्त करता है संयमासंयमका उत्कृष्ट काल होता है। यह काल अन्तमुहर्त कम एक पूर्वकोटि है। 4. जघन्य काल एक समय मरणकी अपेक्षा बतलाया है। 5. जघन्य काल एकसमय मरणकी अपेक्षा बतलाया है।
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