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सर्वार्थ सिद्धि
साक्षात् मोक्षका कारण मिलने पर मुनि मुक्त यत्नसाध्य अभाव किस क्रमसे होता है इस होता है इस बात का निर्देश 361 इस बातका निर्देश
368 दोनों प्रकारका तप संवरके साथ निर्जराका भी अन्य किन भावोंके अभावसे मोक्ष होता है कारण है इस बातका समर्थन . 361
370 किसके कितनी निर्जरा होती है
361 भव्यत्व पदको ग्रहण करनेका कारण 370 अधिकारी भेदसे उत्तरोत्तर असंख्यातगुणी
मोक्ष में किन भावोंका अभाव नहीं होता इस निर्जराका विशेष खुलासा 361 बातका निर्देश
370 निम्रन्थोंके पांच भेद
363 मोक्षमें अनन्त वीर्य आदि का सद्भावख्यापन 370 पुलाक आदि पदोंकी व्याख्या
363 मुक्त जीवों के आकार का शंका-समाधानपूर्वक ये पुलाकादि पाँचों किस अपेक्षासे निर्ग्रन्थ
प्रतिपादन
371 कहलाते हैं इसका कारण
363 मुक्त जीव लोकाकाश प्रमाण क्यों नहीं होता निर्ग्रन्थों में संयम आदिको अपेक्षा भेद कथन 364 इस बात का निर्देश
371 संयमकी अपेक्षा भेद कथन
364 मुक्त जीव के ऊपर लोकान्त गमनका निर्देश 371 श्रुतकी अपेक्षा भेद कथन
364 ऊपर लोकान्तगमनमें हेतुओं का निर्देश 371 प्रतिसेवनाकी अपेक्षा भेद कथन
364 दृष्टान्तों द्वारा हेतुओं का समर्थन 372 तीर्थकी अपेक्षा भेद कथन
365 हेतुपूर्वक दृष्टान्तों का विशेष स्पष्टीकरण 372 लिंगकी अपेक्षा भेद कथन
365 ऊपर लोकान्तसे आगे गमनन करने का कारण 373 लेश्याकी अपेक्षा भेद कथन
365 मुक्त जीवोंमें क्षेत्र आदिकी अपेक्षा भेद कथन 373 उपपादकी अपेक्षा भेद कथन
365 भेदकथन में दो नयोंका अवलम्बन स्थानकी अपेक्षा भेद कथन 365. क्षेत्र की अपेक्षा भेद कथन
373 कालकी अपेक्षा भेद कथन
373 दसवां अध्याय गतिकी अपेक्षा भेद कयन
373 केवलज्ञानकी उत्पत्तिके हेतु और कर्मक्षयका लिंग की अपेक्षा भेद कथन
373 क्रमनिर्देश 367 तीर्थकी अपेक्षा भेद कथन
374 मोहक्षयात पदको अलग रखनेका कारण 367 चारित्र की अपेक्षा भेद कथन
374 मोहका क्षय पहले क्यों और किस क्रमसे होता प्रत्येक बुद्धिबोधित की अपेक्षा भेद कथन है इस बात का निर्देश 367 ज्ञान की अपेक्षा भेदकथन
374 क्षीणकषाय जीवके शेष ज्ञानावरणादि कर्मोंका अवगाहन की अपेक्षा भेद कथन क्षय कब और किस क्रमसे होता है इस
अन्तर की अपेक्षा भेद कथन
374 बातका निर्देश 367 संख्या की अपेक्षा नेद कथन
374 कारणपूर्वक मोक्षका स्वरूप 368 क्षेत्रादिकी अपेक्षा अल्पबहुत्व
374 कर्मके अभावके दो भेद
368. सर्वार्थसिद्धि इस नाम की सार्थकता और किन कोका अयत्नसाध्य अभाव होता है इस महत्त्वप्रख्यापन
375 बातका निर्देश
368 वीरजिनकी स्तुति
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