________________
रामायण
~~~ ~~~~~~~~~~~~ ~~ वासुदेव के हाथो से ही, क्रम से इनका मरना है। बलके द्वारे बिना इन्हें भी, और नही कहीं शरणा है ।
.
दोहा इन नौ नौ के ही समय, नौ नौ नारद जान । भूमण्डल के भूपति, करते सब सम्मान ॥ अद्वितीय कलह प्रिय होते, पर होते है शुद्ध ब्रह्मचारी। इनसे जो कोई प्रतिकूल चले, उनको होते महाभयकारी ॥ विग्रह करके उपशान्त बनाना, वामें करका खेल सभी । भ्रात भले जामात बुरे के बद से भला न करें कमी ॥ घर घर क्या सब रणवासो तक. ना रोक इन्हें कोई होती है । और जिसने कुछ विपरीत किया तो उसकी किस्मत सोती है। अन्त्यम होता है स्वर्ग गमन, ब्रह्मचर्य गुण के कारण से । और वासुदेव संगप्रेम इन्हो का, होता असाधारण से ।
दोहा जिसने पूर्व जन्म में, किया धर्म हितकार । रूप ऋद्धि उनको यहां, मिलती अपरम्पार ॥ अतल रूप धारी चौबीस ही. कामदेव अवतार हवे।
सब कामदेव को जीत जीत, बहुते भव सिन्धु पार हुवे ॥ नर नारी क्या शुभ रूप देख, सुर इन्द्राणी मुर्भाती है । किन्तु विषयों में खुचे नहीं, चाहे सुरललना तक चाहती है।
दोहा एकादशरुद्र हुवे महाकर अवतार । जाते आप अधोगति फैला कर व्यभिचार ॥