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रामायण
दोहा पाकर के मनुष्य तन करो जरा कुछ ख्याल । अन्त सभी तजना पड़े, परिजन तन धन माल ॥
गाना नं. ४१ तर्ज-(खिदमते खल्क मे जो कि मर जायेंगे) कर के नेकी जो दुनिया में मर जायेंगे। यहां अमर नाम अपना वह कर जायेंगे। उठो भारत वीरो, कमर कस के अपनी । तजो नकली माला, तजो नकली जपना ।। करो धर्म दःख सारे, टर जायेगा ॥१॥ रहो प्रेम से आप, हिल मिल के सारे। करो संयम धारण तो, हो वारे न्यारे । नहीं द्वेपानल मे, ही जर जायेंगे ॥२॥ यह चारो वर्ण का, मनुष्य तन समूह है। करो प्रेम सब से बढ़े, पुण्य समूह है। नहीं सच्चे मोती. विखर जायेगे ।।३।। पतित हो के अपने, ही घातक बनेगे। धर्म अपवर्ग के भी, वाधक बनेगे। शत्रु ब ३२ म्लेच्छो के घर जायेगे ॥४॥ इस समय क्या सदा से कहा धर्म ये ही। करो मैत्री सब से है सद्धर्म ये ही। शुक्ल काम सारे ही सर जायेंगे ॥५॥
दोहा भारतवासी तुम इसे, सोचो हृदय मांय । श्रीराम भीलनी को, उधर यों बोले हर्षाय ॥