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रामायण
राम लखन को तो दल मे, खरदूषण मार मुकावेंगे। ले चले सिया को लंका में, अपना आनन्द उड़ावेंगे।
दोहा
सिंह नाद रावण किया, छुप रण भूमि ओर।
सुनते ही सिया राम के, दिल में मच गया शोर । सिया राम से कहे युद्ध मे, लक्ष्मण तुम्हें बुलाता है। घेर लिया कहीं शत्रु ने, इस कारण शब्द सुनाता है । इक जान टके सी लक्ष्मण की, और गोल अरि का भारी है। जल्दी जाकर ललकारो तुम, फिर जूझेगा बलधारी है।
दोहा करे प्रेरणा हर समय, बनो सहायक जाय । रामचन्द्र इस बात को, सोच रहे मन मांय ।।
(राम) जो लक्ष्मण को घेर सके, नहीं जननी ने कोई जाया है। यह श्राकर के किसी शत्रु ने, ऐसा प्रपंच बनाया है ।। वह महा बली योद्धा लक्ष्मण, निश्चय न किसी से हारेगा। करे शीश धड़ से न्यारे, सब दल का होश बिगाड़ेगा।
दोहा रामचन्द्र यों कर रहे, दिल मे निजी विचार । होन हार आकर यहाँ, बैठी श्रासन मार ।। बार बार सिंह नाद शब्द, रावण निज मुख से करता है। वहां श्री राम से करे प्रेरणा, सीता का दिल डरता है ।। कहे रामचन्द्र बन बीच, अकेली कैसे जाऊँ छोड़ तुझे ।। नहीं हारता लक्ष्मण, सारी दुनियां से विश्वास मुझे ॥