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बनवास कारण
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दोहा इतना कह श्रीराम जी, गये जहां थ्री,मात । हाथ जोड़कर चरण में रख दिया अपना माथ ।। ' मातृ भक्त का देख हृदय, माता का हृदय पिंघल गया। कौशल्या के हृदय से मानो, मोह एक दम निकल गया ।। श्रीराम के सिर पर हाथ फेर, बोली बेटा क्या चाहता है। तु पुण्ययान् सब हृदयो की, मुरझाई कली खिलाता है।
दोहा हाथ जोड़ श्रीराम जी, बोले वचन उचार । . बड़े मात करते सदा, छोटो पर उपकार ।। क्या नहीं जानती मात, राम एक नारहनी का बच्चा है । चाहे यह पृथ्वी उलट जाय, किन्तु हृदय नहीं कच्चा है ।। माता चाहे वज्र के सम, अपना हृदय बना लेवे । । पर बच्चे के रोने से वहीं, वज्र का हृदय पिंघल जावे ।।. माता बिन बच्चो को इस, दुनिया में कोई शरण नहीं ।
आपकी कृपा बिन माता, पूरा होगा ये प्रण नहीं । बच्चा हूं तेरा अभी फरस पर, रूस के लेट लगाऊंगा। अभी देखना फिर माता मै, आपसे आज्ञा पाऊगा। तुम मेरे हित की कहते हो, इस बात को-खूब जानता हूं। उपकार तेरा नहीं दे सकता, इस बात को माता मानता हूं।
दाहा
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-ऊँच नीच सब सोचकर, बोली वचन उचार। . माता विदुषी के वचन, थे शुभ समय अनुसार -।।, .