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श्रीरामजन्म
गाना नं ० ५४
( तर्ज - कुछ नीर पिलादे ) कहो प्राणनाथ क्या स्वप्न मुझे सुखकार है, दुखहार है, गुलजार है ॥ ढेर ॥ सच प्राणप्रिये यह स्वप्न दायक सुखदान है, गुणवान है पुण्यवान है (ठे० रा० ) तो पुण्य उदय शोभन है । (भू०) बिल्कुल है सही, ( रा ० ) क्या पुण्यवान् नन्दन है । (भू०) जन्मेगा वही
( रा० ) तो क्या करना मुझको चाहिये, भाषो जो जो हितकार है
॥ १ ॥ कहो
(भू० ) नित्य आत्म ध्यान लगाओ, ( रा ० ) सत्य पति देव ।
(भू०) दुखियो को सुखी बनाओ, जीतहमेव । दान, शील, तप, शुद्ध भावना से सब का कल्याण है ॥२॥ कहो ॥
(भू० ) सर्वज्ञ शास्त्र नित्य पढ़ना
(रा० ) शुद्ध ज्ञान यही । (भू०) सद्गुण चाहिये नित्य बढ़ना
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मुझे नित्य काम क्या करना (भू०) व्याख्यान सुनो ( रा ० ) सुखकारी क्या है शरणा ।
(भू०) प्रभु नाम गुणो
(रा० ) तो समझ लिया मैंने आकर कोई जन्मेगा अवतार है
॥ ३ ॥ कहो ॥