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रामायण rammarrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr गीत भाटों ने गाया जभी आनकर, कंठ में आन दुर्गा बसी जानकर
राग ध्रु पद तराने में वर्णन किये ॥५॥ ना चढ़ा धनुष जिनसे वे शर्मा गये, लग चुका जोर सारे ही
घबरा गये। सिर झुका बैठ गये, और कांपे हिये ॥६॥ गीत गाने लगी मिलकर कामन सभी, शुक्ल शायर भी उत्सव
पर आये तभी। धिन तृटन धिन तवला गावें सिये ॥७॥ धनुष चढ़ाने की खुशी मे
गाना नं. ७
(तर्ज-घर घर मंगल) चढ़ाना धनुष का भाईयो मुबारिक हो मुबारिक हो । विवाहना राम का भाईयो, मुबारिक हो मुबारिक हो ।।टेका) खुशी सब जन मनाते है, गीत मंगलीक गाते हैं। बाजिंत्र खूब बजाये है, सुबारिक हो मुबारिक हो ॥१॥ अनाथो और गरीवा को, दई दिल खोल के माया । पिता दशरथ जी थे दानी, मुबारिक हो मुबारिक हो ॥२॥ खुशी मे छोड़े सब कैदी, फिरे आजाद होकर सब । देवे धन्यवाद राजा को, मुबारिक हो मुबारिक हो ॥३॥ बधाईयां देते नर-नारी, मिठाई खूब वांटी है। दिया धन संस्थाओं को, मुबारिक हो मुबारिक हो ॥४॥ लहराया धर्म का झंडा, मिटाया शोक सब जन का । सिया ने राम को परणा, मुबारिक हो मुवारिक हो । ५॥ . रहे जोड़ी सदा कायस, रहे बाशाद ये दोनो। देश और धर्म के रक्षक, मुबारिक हो मुबारिक हो ॥६॥