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भामण्डल का अपहरण
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दोहा (कवि) दासियां घबराई हुई, पहुंची रानी पास । दुःखदाई वाणी सभी, बोली ऐसे भाष ।।
दोहा (दासी) श्राश्चर्य हुआ रानी महा, कहे किस तरह बात । लुप्त हो गया सामने, तव सुत नहीं दिखात ।।
गाना नं० १ (बहर तबील)
(दासियों का रानी से कहना) अए रानी सभी यह प्रत्यन है,
इस हिन्डोले में छौना तुम्हारा पड़ा। दृष्टि डाली तो यहां पर नही लाइला,
जिससे धड़क कलेजा हमारा पड़ा। क्या गगन मे गया या धरण में धंसा,
_हमे इस भवन मे नजर न पड़ा। कोई पाता या जाता न दीखा हमे, देखो रानी चहुं ओर पहरा खड़ा।
दोहा हृदय विदारक जब सुने, महारानी ने बैन । पुत्र विरहिनी मात फिर लगी इस तरह कहन ॥ गाना न० २ (बहर तबील)
(विदेही का विलाप) आज अपना यह दुःख मैं कहूं किस तरह,
मेरे दिल को तसल्ली है आती नहीं ।