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हनुमानुत्पत्ति
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दोहा
पुत्री के वर के लिये, देखे राजकुमार ।
पवन कुमर विद्युत प्रभ, थे कुबेर अवतार ॥ प्रथम टेवा विद्युत का, महाराजा ने मंगवाया है। शुभ लग्न स्पप्ट करने के हेतु, पण्डित को दिखलाया है ॥ अष्टांग ज्योतिषी बतलाया, तप संयम चित्त लगायेगा। वर्ष अठारह की आयु मे, प्राणान्त हो जायेगा।
दोहा पवन जय निश्चय किया, छोड़ विद्य त उसी आन ।
तीन दिवस में कर दिया, शादी का सामान । पवन जय तब कहे मित्र से, क्या तुमने देखी बाला । पहिले मुझको दिखला दो, जिससे विवाह होने वाला ॥ एक घडी का चैन नही, बिन देखे राजकुवारी के । कैसे है विलक्षण लक्षण, देखू जाकर देश दुलारी के ॥
दोहा प्रहसित मित्र कहे कुमर से, धीर धरो मन माह ।
सूर्य अस्त हो जाय तो, फिर विचार कुछ नांह ।। जब हुआ शाम का समय, विमान मे बैठ महेन्द्रपुर आये।। जा खड़ा किया विमान, महल पै अंजना के दर्शन पाये ।। बैठी, हुई संग सहेलियों के, शोभायमान सुकुमारी थी। मानो तारा मण्डल मे प्रगटी,. चन्द्रमुखी उजियारी थी।
दोहा पुण्य रूप तन देख कर, पाई खुशी अपार । स्नेह दृष्टि से देखते, थके न पवन कुमार ॥