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रामायण
दोहा
अरी पापिनी अंजना, 'जन कैसा नाम जैसा तेरा नाम है, वैसा तेरा काम ॥ जैसा तेरा काम पापिनी, यह क्या कर्म कमाया । पुत्र मेरा प्रदेश दुराचारण, कहां उदर बढाया || अरि कलंकिन निर्भागन, तै कुल को दाग लगाया । कुमर गया नहीं महल, बता ये किसका गर्भ धराया ||
दौड़
पतिव्रता कहलाती, जरा भी नही लजाती । डूब के मर जाना था, या तो रखती शील नही यह मुख नहीं दिखलाना था ॥
सास का गाना नं ०
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अंजना पापन महा निरभागिन, खोया है कुल का गौरव मेरा । माया चारी करी तैने भारी ॥ य०
यदि सत्य हाल सुन पाऊंगी, तो दया भी तुझ पर लाऊँगी । निर्वाह की शकल बनाऊंगी, आयु तेरी निभवाऊंगी ||
नहीं आफत तुझ पर आवेगी, रो रोकर समय वितावेगी ॥ इस घर में जगह न पावेगी, वन वन में धक्का खावेगी । ऊपर से भोली सूरत है, हृदय मे महा कदूरत है ॥ धिक्कार ये तेरी सूरत है, जो कुलमर्यादा चूरत है । बदनामी का ढोल बजा दूंगी, दुनिया से तुझे मिटा दूंगी | सब करके अभी दिखा दूंगी, नाको से चने चबा दूंगी ॥