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रामायण
कोई शीश चरण चूमे, कोई प्रम से लाड लडाता है। कोई करे लाड की बाते और, कोई लेकर गोद खिलाता है।
दोहा माता पिता भाई बहिन, सम्बन्धि परिवार । सभी हनुपुर आ गये, मिलते भुजा पसार ।। भीड़ एकत्रित हुई बहुत, सब अंजना के गुण गाते हैं। याचक लोग सभी खुश होकर, जय जय शब्द सुनाते हैं। उत्सव अधिक हुवा भारी, दस दिन तक मंगलाचार रहा । सब क्षमा मांगते अजना से, महासति शब्द गुजार रहा ।।
गाना नं० ४२ प्रति सूर्य ने थाल परोसे, मेवा मिष्टान सजाय के। प्रति सूर्य ने थाल परोसे (ध्र व) ऋद्धिसिद्धि पुण्य के प्रताप से विराजी आय । मोतिया क्या मेसूपाक, अमृति वेदाना जान । रसगुल्ला चक्की वालु स्याही जलेबी और खुरमा जान जी। बदाम पाक पेड़ा बरफी घेवर लड्डु कलाकन्द ले ज तो नौरंगी। बूदी केवड़े की है सुगंध, अन्दर सा गुलाब जामुन । मलाई लच्छे की बरफी, खाने से होवे आनन्द । फिर सोहन हलवा लाय के मठडी और सुहाल परोसे ॥१॥ पूरी और कचौरी वव्वर घेवर माल पूर्व खीर । पूर्ण पोली मेवा के समोसे, नमकीन बीर । स्वर्ण झारी सोने के कलसो में भरा नीर जी । लौजी सांगर छुवारे सूठ, मेवा के त्रिकूट करे। दही बड़े मक्खन बड़े, रायते कई न्यारे-न्यारे ।