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-- हनुमानुत्पत्ति
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दोहा • प्रतिसूर्य भूपाल ने, लिया विमान सजाय ।
अजना सुत दासी सभो, बैठे मन हाय ।। गये सामने मिलने को, मित्र प्रहसित की नजर पड़ी। झट बोले देखो पवन कुमर, वह दासी रानी दोनो खड़ी ॥ इतने में ही आन मिले तो, खुशी का ना कोई पार रहा। मिले प्रेम से आपस मे, सुख दुख का सारा हाल कहा ॥
दोहा हाथ जोड़ जना सती, गिरी चरण मे आन । पतिदेव का इस तरह, करन लगी गुण गान ।। . गाना नं. ४१ (अंजना) मरे तुम्ही इष्टदेव, दूसरा ना कोई । (स्थायी) बिन पति पत लाज गई, सासु ससुर ने त्याग दई । कोटि विपत्ति नाथ सही, यह दुर्गति भई ॥१॥ दर्शन बिन नाहीं चैन, खोजत थके राह नैन । दीन दुखी करत वैन, रैन दिवस रोई ।।२।। जब से पिया रूठ गये, कोटि प्रभु कष्ट सहे । गौरव गुण नष्ट भये, विपत वेल बोई ॥३॥ आवो पिया पधारो पिया, दर्शन दिखावो पिया। नेत्रो की ज्योत शुक्ल, बाट तकत खोई ॥४॥
दोहा हनुमान के रूप को, देख मोहित नर नार ।
सभी लाल को प्रेम से, लेते हाथ पसार.॥ उसी समय ले पिता पुत्र को, हृदय तुरत लगाया है। पुण्य सितारा देख कुमर का, पवन जय हर्षाया है ॥ ,