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रामायण
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दौड़ सुनन्दा के बाहुबल, एक ही सिंह अतुल बल । बड़ा भरतेश्वर ही था. बज्र ऋषभ संहनन जिन्हों का रूप अति सुन्दर था ॥
दोहा पुत्र बहुत भरतेश के, बड़ा सूर्य यश नाम ।
राज तिलक उनको हुवा, शूर वीर बलवान् । सूर्य यश से सूर्य वंश, शुभ नाम प्रसिद्ध हुवा भारी। क्रम से भूप अनेक हुवे थे, शूरवीर पर उपकारी ॥ मुनि सुव्रत स्वामी के समय थे, विजय नरेश्वर बलधारी। पुरन्दर वज्रबाहु दो नंदन. हेम चुला तिस की नारी ॥
चौपाई नगर अदितपुर अति अभिराम, हेमवाहन राजा का नाम । चूड़ामणि नामक पट नारी, पुत्री मनोरमा अति सुख कारी ॥ वज्र वाहु संग किया विवाह, मंगलाचार हुवा उत्साह । नव वधु कुमर एक दिन लाया, उदय सुन्दर सालासंग आया। मार्ग मे मुनि सागर पाया, देख कुवर ने शीश नमाया । कर गुण ग्राम चरण कर लाये, धन्य भाग शुभ दर्शन पाये ।।
दोहा उदय सुन्दर हासी करी, लेबो संयम भार । बार बार यह ना मिले, मनुप्य जन्म अवतार |
गाना नं. ४३ तर्ज-सदा तुम करते रहो जी त्यागी मुनि का संग (ध्र व) रतन हीरे कंचन सब ही होते रंग विरग।
ज्ञान दर्श चारित्र धारो करो कर्म से जंग ।।