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हनुमानुत्पत्ति
गाना नं० ३१ सिधारो लाड़ली मेरी, यह शिक्षा भूल ना जाना। यह शिक्षाप्रद वचन मेरे है, भोली भूल ना जाना ॥ पति पूजा पति भक्ति है सच्चा धर्म नारी का । धर्म सम्बन्धी सब ग्रन्थो का, पढ़ना भूल ना जाना ॥ न रखना खेद मन मे प्रम, करना ननंद देवर से । सकल सम्बन्धियो का, मान करना भूल ना जाना॥ ससुर सासु से लडना, झगड़ना कुढ़ना नही होगा। सदा मिल बैठ करना धर्म, चर्चा भूल ना जाना ॥ पति की चरण धूली का, तिलक मस्तक चढ़ा लेना। पति पग पे सदा सिर को, निमाना भूल ना जाना ॥ आये गृह पे अतिथियो को, खिलाना नम से भोजन । सती साधु को देना दान, प्रेम से भूल ना जाना ॥ कभी भूतो च प्रतो से, न डरना भूल कर भी तुम । सदा छलियो के छलछिद्र से, बचना भूल ना जाना ।। नही ताबीज गन्डो को, भटकना दर पे पोपो के। किसी धूर्त के फन्दे ना, फंसना भूल ना जाना ।। किसी यन्त्र या मन्त्र तन्त्र को, करना नही सेवन । यह जादू टूणे है सब, पोप लीला भूल ना जाना ।। कभी संकट सताये तो, पढ़ो नमोकार मंत्र को । सदा अरिहन्त का शरणा, तू जपना भूल ना जाना ॥ शुक्ल आनन्द की वर्षा, सदा वर्षे तेरे गृह मे । है करता धर्म ही प्राणी की, रक्षा भूल ना जाना।
दोहा प्रम भाव से विदा हो, आये निजस्थान । सुनो विचित्रतर कम की, जरा लेगाकर कान॥