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रामायण
wwwser wwwwww ww www wwwww करें कहां तक वर्णन वहां का, समझ नहीं कुछ आता है। क्या वही स्वर्ग प्रत्येक कवि, दे उदाहरण कथ गाता है ।। वहां नदी सरोवर के मानिन्द, है चारों ओर वना रक्खी । लम्बी और चौड़ी शोभनीक, नौका है उस पर ला रक्वी ! दोनो ओर बने सेतु, कोई खम्भा जिनके मध्य नहीं। जिस दम कपाट भिड, जाते हैं, तो समझो और संबंध नहीं। मध्योदक भवन बने अद्भुत, सुख पुण्य योग से पाया है। अभी थोडे. फट्ट खोल दिये, जिस कारण यह जल आया है !
गाना नं० २३ तर्ज-(पहिले न स्वार्थी का इतबार किया होता) दुनिया मे एक पानी है स्वर्ग की निशानी ।
____करते किलोल आके सहस्रांशु राजा रानी ॥१॥ पानी जहां नही है किस काम की वह भूमि ।
किन्तु ये सर्व गुण की है खान राजधानी ।।२।। - वहां की कला व कौशल वर्णन करे तो कैसे ।
एक एक से है बढ़ कर दीखें वहां विज्ञानी ॥३॥ वास्तव में देखा जावे तो बात भी सही है।
__संसार उनके सन्मुख लगता पशु अज्ञानी ॥४॥ अप-अपने इष्ट मे हैं तल्लीन रात दिन वह ।
कैसे शुक्ल बतावें गौरव की सब कहानी ॥५॥
दोहा सुनते ही दशकन्धर दी, रणभेरी बजवाय। दल बल सबल विमान से, घेरा डाला जाय ।। पहिले दूत पठा रावण ने, नृप को खबर पहुंचाई झट । या भाक्त स्वीकार करा, या हमसे करा लड़ाई झट ।