________________
शिष्य-प्रश्न
-nhcomic
यह तप जप से हो भ्रष्ट सभी, खोटे कर्मो में लगते हैं। फिर अशुभ कर्म भोगन कारण, जाकुम्भिपाक में गलते हैं ।। शुभ पुण्य रूप नरतन पाकर, सब कर कर्म में चलते हैं। अनमोल समय चिन्तामणि तन, खोकर अपने कर मलते हैं।
दोहा . धर्म ध्यान शुभ शुक्ल दो प्राणी को सुखदाय । . नाम स्थानादिक सभी देखो यन्त्र मांय ।।
२४ तीर्थंकर देवों का नाम और लक्षण . १ श्री ऋषभदेवजी
बैल का । २ ,, अजितनाथजी
हस्ती का ३ , संभवनाथजी
अश्व का ४ ,, अभिनन्दनजी
कपि का ,, सुमतिनाथजी
चक्रवाक का ,, पद्मप्रभुजी
कमल का ,, सुपार्श्वनाथजी
साथिये का ,, चन्द्रप्रभुजी
चन्द्रमा का " सुविधिनाथजी । नाकु का ,, शीतलनाथजी
कल्पवृक्ष का ,, श्रेयांसनाथजी १२ ,, वासुपुज्यजी
भैंसे का ,, विमलनाथजी
वराह का ,, अनन्तनाथजी
सेही का , धर्मनाथजी
वज्र दण्ड का १६ ,, शान्तिनाथजी
हिरण का १७ , कुन्थुनाथजी
अज का
गैंडे का