Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १० उ० ३ सू० १ देवस्वरूपनिरूपणम्
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पका अवसेया: ' एवं जात्र थणियकुमाराणं' एवं पूर्वोक्तरीत्या यावत्- सुवर्णकुमारादारभ्य स्तनितकुमारपर्यन्तानामपि त्रयस्त्रयः आलापका वक्तव्याः, 'वाणमंतर जोइसियवे माणिए णं एवं चेत्र' तथा वानव्यन्तर-ज्योतिषिकवैमानिकेनापि एवमेव पूर्वोक्तरीत्या त्रयस्त्रयः आलापका वक्तव्याः । गौतमः पृच्छति - ' अपड़िएणं भंते! देवे महिड्डियाए देवीए मज्झं मज्झेणं वीइवइज्जा ? ' हे भदन्त ! अल्पदिकः खलु देवो महर्द्धिकाया देव्याः मध्यमध्येन मध्यभागेन किं व्यतिव्रजेत् ? व्यतिक्रामेत् ? भगवानाह - ' णो इणट्ठे समट्ठे' हे गौतम ! नायमर्थः समर्थः नैतत् संभवति । गौतमः पृच्छति - 'समड्रिएणं भंते! देवे सम डियाए देवीए मझं मझेणं वीइवएज्जा ? ' हे भदन्त ! समर्द्धिकः खलु देवः समइनका तीसरा इस तरह से ये तीन आलापक हैं। 'एवं जाव थणियकुमाराण' इसी तरह से सुवर्णकुमार से लेकर स्तनितकुमार तक के भवनपति देवों के ३-३ ओलापक कहना चाहिये । 'वाणमंतर जोइसिय वैमाणिएणं एवं चेव' वानव्यन्तर, ज्योतिषिक, एवं वैमानिक इन देवों के भी इसी तरह से ३-३ आलापक होते हैं ऐसा जानना चाहिये। अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं- 'अपड़िएण' भंते! देवे महिडियाए देवीए मज्झ मज्झेण बीइवएज्जा' हे भदन्तं ! जो अल्पर्द्धिक देव है वह महर्द्धिक देवी के बीचोंबीच से होकर निकल सकता है क्या ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं 'णा इणट्टे समट्ठे' हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है । अब गौतम स्वामी प्रभु से ऐसा द्वितीय आलापक पूछते हैं की - 'समडिएण भंते! देवें समडियाए देवीए मज्झ - मज्झेण वीइवएज्जा' हे भदन्त ! जो समद्धिक-समान ऋद्धि जिसकी અને સમાનઋદ્ધિવાળા અસુરકુમારના બીજો આલાપક, અને મહદ્ધિક તથા અપદ્ધિક અસુરકુમારના ત્રીજો આલાપક સમજવા. આ રીતે અસુરકુમાર વિષયક ત્રણ આલાપક સમજવા, एवं जाव थणियकुमाराणं मे प्रभा सुवलु भारथी લઈને સ્તનિતકુમાર પર્યન્તના પ્રત્યેક ભવનપતિ દેવના ત્રણત્રણ આલાપકે સમ એજ પ્રમાણે વાનભ્યન્તર, वाणमंतर जोइसियवे माणिएणं एवं चैव " જાતિષિક અને વૈમાનિક દેવાના પણ ત્રણત્રણ આલાપ સમજવા.
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४वा.
गौतम स्वामीनी प्रश्न - अप्पढिए णं भंते ! देवे महइढियाए देवीए मज्झ मज्झेणं वीइवएज्जा ? ” हे लगवन् ! ऋद्धिवाणी हे शुभहा ऋद्धिवाना દેવીની વચ્ચે થઈને નીકળી શકે છે ખરા ?
भडावीर प्रभुने। उत्तर-“णो इणट्ठे समट्टे” हे गौतम! मे वात स·लवी शम्ती नथी.
गौतम स्वाभीनो प्रश्न- " समझिढएणं भंते! देवे समड्दिएणं देवीए मज्झ मज्झेणं वीइवएज्जा ?" डे लगरन् ! अस्य ऋद्धिवाणी देव शु महाऋद्धिवाजी દેવીની વચ્ચે થઈને નીકળી શકે છે ખરા ?
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯