Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीस्त्रे प्रज्ञप्ता ? भगवानाह-'गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्को सेणं दसवाससहस्साइं३०' हे गौतम ! उत्पलजीवानाम् जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कृष्टेन दशवर्षसहस्राणि स्थितिः प्रज्ञप्ता। इति त्रिंशत्तमं स्थितिद्वारम् ॥३०॥ ___ अथ एकत्रिंशत्तमं समुद्घातद्वारमाश्रित्य गौतमः पृच्छति-'तेसिं णं भंते ! जीवाणं कर समुग्घाया पण्णता?' हे भदन्त ! तेषां खलु उत्पलजीवानां कति समुद्घाताः प्रज्ञप्ताः? भगवानाह-'गोयमा! तओ समुग्घाया पण्णत्ता' हे गौतम! उत्पलजीवानां त्रयः समुद्घाताः प्रज्ञप्ताः, 'तंजहा-वेयणासमुग्धाए, कसायसमुग्याए, मारणंतियसमुग्घाए ३१' तद्यथा-वेदनासमुद्घातः कपायसमुद्घातः, मारणान्तिक-समुद्घातश्च । इत्येकत्रिंशत्तमं समुद्घातद्वारम् । ३१॥ उत्पलस्थ जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा । जहणणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं दसवाससहस्साइ' हे गौतम ! इन उत्पलस्थ जीवों की स्थिति जघन्य से तो एक अन्तर्मुहूर्त की कही गई है और उत्कृष्ट से दश हजार वर्षकी कही गई है यह तीसवां स्थितिद्वार है।
अब गौतम समुद्धातद्वार को आश्रित करके प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'तेसिणं भंते ! जीवाणं कह समुग्घाया पण्णत्ता!' हे भदन्त ! उन उत्पल जीवों के कितने समुद्घात कहे गये है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं- 'गोयमा ! तओ समुग्धाया पण्णत्ता' हे गौतम उन उत्पलजीवों के तीन समुद्घात कहे गये हैं- ' तंजहा' जो इस प्रकार से हैं- 'वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाए'
३०i स्थितिवारनी ५३५। --गौतम स्वाभाना प्रश्न- " तेसिं ण भंते ! केवइय कालं ठिई पण्णत्ता १" भगवन् ! ते ५स्थ वानी टमा કાળની સ્થિતિ કહી છે?
महावीर प्रभुन। उत्तर--" गोयमा! जहण्णेण अंतोमुहुत्त', उक्कोसेण दसवाससहस्साई” गौतम ! यस्य योनी मामा माछी मन्तभुહૂર્તની અને વધારેમાં વધારે દસ હજાર વર્ષની સ્થિતિ કહી છે. માં ૩૦ ||
३१ मा समुद्धात दा२नी ५३५९!-- गौतम स्वाभानी प्रश्न- "तेसि ण भंते ! जीवाण कइ समुग्घाया पण्णत्ता ?" सगवन्! ते ५सस्थ જીના કેટલા સમુદ્દઘાત કહ્યા છે?
भडावीर प्रभुनी उत्तर-'गोयमा ! तओ समुग्घाया पण्णत्ता" गौतम ! त ५३ लाना त्रय समुद्धात ह्या छ, “तंजहा" २ नाय प्रमाणे
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯