Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 678
________________ भगवतीमो विउले असणपाण खाइमसाइमे आसाएमाणा जाव विहरति । तए णं तस्त संखस्त समणोवासगस्त पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था, सेयं खलु मे कल्लं जाव जलंते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता, नमसित्ता जाव पज्जुवासित्ता तओ पडिनियत्तस्स पक्खियं पोसहं पारित्तए तिकट्ठ एवं संपहेइ, संपेहेत्ता, कल्लं जाव जलंते पोसहसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता, पादविहारचारेणं सावत्थिं नयरि मज्झं मझेणं जाव पज्जुवासइ, अभिगमोनत्थिा तएणंतेसमणोवासगा कल्लं पाउ० जाव जलं ते पहाया कयबलि कम्मा जाव सरीरा सपहिं गेहेहितो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता एगयओ मिलायिंति, मिलायित्ता सेसं जहा पढ मंजाव पज्जुवासंति।तएणं समणे भगवं महावीरे तेर्सि समणोवासगाणं तीसेय महतिमहालियाए सभाए धम्मकहा जाव आणाए आराहए भवइ।तएणं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हटुतुहा उहाए उट्ठति, उहित्ता, समणं भगवं महावीरं वंदति, नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता, जेणेष संखे समणोवासए, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता, संखं समणोवासयं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया! हिजा अम्हे हि अप्पणा चेव, एवं वयासी-तुम्हे णं देवाणुप्पिया! विउलं असणं जाव विहरिस्सामो, तएणं तुम શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯

Loading...

Page Navigation
1 ... 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760