Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीस्त्रे कृतबलिकर्माणम् , कृतं बलिकर्म-वायसादिभ्योऽन्नदानं येन तं तथाविधम् , कृत कौतुकमङ्गलप्रायश्चित्तम्- कृतं रक्षाविधानार्थ कौतुकं मङ्गलं प्रायश्चित्तं येन तं तथा विधम् , एवं सर्वालङ्कारविभूषितम्-सर्वालङ्कारैविभूषितम् , 'पमक्खणगण्हाणगीयवाइयपसाहणटुंगतिलगकंकणअविवबहुउवणीय' प्रम्रक्षणकस्नानगीतवादितमसाधनाष्टाङ्गतिलककङ्कणाविधववधूपनीतम्-तत्र पम्रक्षणकम्-अभ्यञ्जनम्, स्नानगीतवादितानि-प्रसिद्धान्येव, प्रसाधनं-मण्डनम् , अष्टसु अङ्गेषु तिलका:पुण्ड्राणि अष्टाङ्गतिलकाः, कङ्कणंच-रक्तदवरकरूपम् , एतानि अविधववधूमि:सौभाग्यवतीभिः स्त्रीभिः उपनीतानि यस्य तं तथाविधम् , 'मंगलमुजंपिएहि य वरकोउयमंगलोरयारकयसंतिकम्म' मङ्गलमुजल्पितैश्च-मङ्गलानि-मङ्गलजनकगीविवाह होने के पहिले उस अवसर पर महापलकुमार को स्नान करवाया गया, स्नान कराने के बाद उन्होंने काक आदिकों के लिये अनमदानरूप बलिकर्म किया रक्षा के निमित्त या दुःस्वा आदिकों के विघात के निमित्त उन्होने कौतुक, मंगल एवं प्रायश्चित्त किया, फिर उनके शरीर को समस्त अलंकारो से विभूषित किया गया 'पमक्खणग पहाणगीयवाइयपसाहणटुंगतिलगकंकणअविहववहु उवणीय पादमें सौभाग्यवती स्त्रियों ने महावल कुमार का उपटन किया, उषटन के बाद उनका जल से अभिषेक किया, फिर सब ने मिलकर विवाह के गीत गाये ढोलक आदि बाजे बाद में वैवाहिक समय पर पहिरने योग्य आभूषणों को उन्हें पहिराया उनके आठों अङ्गों में तिलक लगाये लालडोरे का उनकी कलाई में कङ्कण बांधा · मंगल सुजंपिएहि य बरको બલ કુમારને ૨નાન કરાવવામાં આવ્યું, સ્નાનવિધિ પતાવીને તેણે કાગડા વિગેરેને અન્ન પ્રદાન કરવા રૂપ બલિકર્મ કર્યું. રક્ષા, દુઃસ્વપ્નનિવારણ આદિ નિમિત્તે તેણે કૌતુક, મંગલ અને પ્રાયશ્ચિત્ત વિધિ કરી. ત્યાર બાદ તેના શરીરને समस्त थी विभूषित ४२१मा सा-यु. “पमाखणगण्हाणगीयवाइयपसाहढुंगतिलगकंकणअविहववहुउवणीय" त्या२ मा सौभाग्यवती સ્ત્રીઓએ મહાબલકુમારને ઉપટન કર્યું (ચણીને લેટ અને સુગંધિત દ્રવ્ય શરીરે ચોળવાની ક્રિયાને ઉપટન કહે છે), ઉપટન કરીને જળથી તેનો અભિપિંક કરવામાં આવ્યું. ત્યારબાદ તેમણે વિવાહનાં ગીત ગાયાં, ઢોલક આદિ વાજિંત્રો વગડાવ્યા. ત્યારબાદ વિવાહને સમયે પહેરાવવા એગ્ય આભૂષણે. તેને પહેરાવવામાં આવ્યાં. તેના આઠે અંગે પર ચાંદલા કરવામાં આવ્યા na dat xis aa ar e wiuni I०यु'. “ मंगलसुजपिएहिय
श्री. भगवती सूत्र : ८

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