Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ११ उ० ११ १०९ सुदर्शनचरितनिरूपणम् ५.५ 'चौकी' पदवाच्यानि, अष्टौ रुप्यमयानि पादपीठानि, अष्टौ सुवर्णरुप्यमयानि पादपीठानि, 'अट्ट सोवन्नियाओ भिसियामो, अह सोवन्नियाओ करोडियाओ' अष्टौ सौवर्णिकीः-सुवर्णनिर्मिताः, भिसिकाः-आसनविशेषरूपाः, अष्टौ सौरगिकी:-सुवर्णनिर्मिताः, करोटिकाः-पात्रविशेषरूपाः ताम्बूलपात्राणि 'अट्ट सोवण्णिए पल्लंके, अट्ट सोवणियाओ पडिसेज्जाओ' अष्टौ सौवर्णिकानि-सुवर्णनिमितानि, पल्यङ्कानि, अष्टौ सौवर्णिकी:-सुवर्ण निर्मिताः, पतिशय्याः-उत्तरशय्या, लघुशय्याः इत्यर्थः, 'अट्ठ इंसासगाई, अट्ठ कोचासणाई, एवं गरुलासणाई, उन्नयासणाई, दीहासणाई, भदासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई,' अष्टौ इंसासनानि-हंसाकारोपलक्षितानि आसनानि, अष्टौ क्रौंचासनानि-क्रौश्चाकारोपलक्षितानि आसनानि, एवमेव-अष्टौ गरुडासनानि, गरुडाकारोपलक्षितानि आसनानि, उन्नतासनानि-उन्नताकारोपलक्षितानि आसनानि, प्रणतासनानि - में इसे चौकी भी कहते हैं। 'अट्ट सोवन्नियाओ भिसियाओ, अह सोवन्नियाओ करोडियाओ' सोने के बने हुए आठ ही विशेष आसन दिये और आठ ही सोने के बने हुए पान रखने के डिब्बे दिये 'अट्ठ सोवन्निए पल्लंके, अट्ट सोवन्नियाओ पडिसेज्जाओ' सोने के बने हुए आठ पलंग दिये और सोने की बनी हुई आठ ही प्रतिशय्याएँ छोटी २ शय्याए दो ‘अट्ट हंसासणाई, अट्ट कोंचासणाई, एवं गरुलासणाई, उप्रयासणाई पणयासणाई दीहासणाई, भद्दासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई, आठ ही सोने के बने हुए हम जैसे आकारवाले आसन दिये, आठ ही क्रौंच के आकार जैसे सोने के बने हुए आसन दिये, आठ ही गरुड़ पक्षी के जैसे सोने के बने हुए गरुडासन दिये, आठ हीसोने के
ચાંદીના બનાવેલા પાદપીઠ બાજોઠ દીધા (પલંગ પર ચડવા ઉતરવા માટે તેને ઉપयो थाय छ तेथी तने पापी3 ४३ .) “ अट्ट सोवन्नियाओ भिसियाओ, अद सोवन्नियाओ करोडियाओ" सुनिमित 218 भासनविशेष साधां मने पान रामप! भाट भा४
सु मंत पानहानी Ell. “ अट्ठ सोवन्निए पल्लंके अट्ट सोवन्नियाओ पडिसेज्जाओ" सोनाना मनावर मा ५६ ही। अने सोनानी मनाली मा अतिशय्यामा-नानी नानी शय्या nी. अट्ट हंसासणाई', अट्ठ कोचासणाई, एव गरुलासणाई', उन्नयासणाई दीहासणाइ', भहासणाई, पखासणाई', मगरासणाई" सन २ना सुनिमित शाह આસન, કૌંચના આકારના સુવર્ણનિમિત આઠ આસન, ગરુડના આકારના
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯