Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१० उ०५ सा२ चमरेन्द्रादीनामग्रमहिषीनिरूपणम् १६५ सणं भंते ! बइरोयणिदस्स वइरोयणरणो सोमस्स महारष्णो काइ अग्गमहिसोओ पणत्ताभो ? ' हे भदन्त ! बलेश्च खलु वैरोचनेद्रस्य वैरोचनराजस्य चतुर्णी लोकपालानां मध्ये सोमस्य महाराजस्य कति अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः? भगवानाह'अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे आर्याः! चतस्रः अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः, 'तंनहा-मीणगा १, सुभदा २, विजया ३, असणी ४,' तद्यथा-मेनका १, सुभद्रा २, विजया ३, अशनिः ४, 'तत्थणं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरसोमस्स, एवं जाव वेसमणस्स' तत्र खलु उपर्युक्तासु चतसृषु अग्रमहिषीषु मध्ये एकैकस्याः देव्याः शेषं यथा चमरसोमस्य लोकपालस्य अग्रमहिषीविषये प्रतिपादितं तथैव प्रतिपत्तव्यम् , तथाच बलेलोकपालसोमस्यापि एकैकस्या अग्रमहिचमर की तरह मैथुन निमित्तक दिव्य भोग भोगों को छोड़कर अपने सिंहासन पर बैठकर परिवार रूप ऋद्धि से भोगों को भोगता है। अब स्थविर मुनिराज भगवान् से ऐसा पूछते हैं-'पलिस्स णं भंते ! वइरोय. जिंदस्स वइरोयणरणो सोमस्स महारणो कइ अग्गमहिसीओ पण्णताओ' हे भदन्त ! वैरोचनेन्द्र एवं वैरोचनराज बलि के जो लोकपाल सोम महाराज हैं उनकी कितनी पदेवियां कही गई हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे आयों ! बलि के लोकपाल सोम की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं ? 'तं जहा मीणगा, सुभद्दा, विजया, असणी' उनके नाम इस प्रकार से हैं-मेनका सुभद्रा, विजया और अशनि 'तत्थणं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरसोमस्स' एवं जाव वेसमणस्स' इन चार अग्रमाहिषियों में से एक २ अग्रमहिषीका देवी परिवार १-१ हजार देवियों का है. इस प्रकार जैसा સભામાં મૈિથુન સંબંધી ભેગે ભેગવી શકતા નથી, પણ નાટ્ય, ગીત, વાદ્યસંગીત આદિ શબ્દાદિ ભેગે અવશ્ય ભોગવી શકે છે.
स्थविशन। प्रश्न-" बलिस्स णं भंते । वइरोयणि दस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारणो कइ अगामहिसोओ पण्णत्ताओ?" भगवन् ! वैरायनेन्द्र वैरोयनराय બલિના લેકપાલ સોમ મહારાજને કેટલી અગ્રમહિષીઓ છે?
महावीर प्रभुना उत्त२-“ अज्जो चत्तारि अग्गम हिसीओ पण्णत्ताओ" . આર્યો! બલિના લેપાલ સેમ મહારાજને ચાર અગ્રમહિષીઓ કહી છે. " तजहा-मीणगा, सुभद्दा, विजया, असणी” तमना नाम नीचे प्रमाणे - (१) भेन, (२) सुभद्रा, (3) विया, मन (४) मशनि. " तत्थणं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरसोमस्स, एवं जाव वेसमणस्स" ते प्रत्ये॥ हेवीपरि.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૯