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आध्यात्मिक आलोक का नाम वजकुमार रखा गया । अब बच्चे का लालन-पालन कैसे हो? यह समस्या सामने आई, क्योंकि मंडली साधु की थी, वे त्यागी थे । आखिर साध्वियों के द्वारा बालक शय्यातरी की देखरेख में रख दिया गया | उसी के घर में साधुओं का भी डेरा था अतः बच्चे को जन्म-घूटी धर्म की मिलती रही ।
___ कुछ दिनों के बाद बच्चे को खुशहाल देख कर उसकी असली माँ उसे लेने आई, किन्तु साधु-मंडली बालक को देने को तैयार नहीं हुई, जिससे विवाद खड़ा हुआ। राजा के समक्ष निर्णय के लिए यह प्रकरण रखा गया । जन्म देने वाली मां विविध प्रकार के खिलौने, मिठाई आदि लेकर आई और संघ की ओर से शय्यातरी रजोहरण, मुंहपत्ती, पुस्तक, पात्र, आसन, माला, सुमरनी आदि धार्मिक उपकरण लेकर आयी । दोनों सामग्रियों के बीच बच्चे को रखा गया । बच्चा धार्मिक उपकरण की ओर बढ़ा और खिलौनों की और उसने मुँह फेर कर भी नहीं देखा ।
तात्पर्य यह कि एक अबोध बच्चा भी धार्मिक संस्कारों के कारण खिलौनों को छोड़ कर धार्मिक उपकरणों की ओर बढ़ा । यदि इसी प्रकार माताएँ अपने बच्चों में जन्म से ही धार्मिक और अच्छे संस्कार डालें तो आगे चलकर बच्चों को अपना जीवन ऊँचा उठाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
भगवान महावीर स्वामी ने आनन्द आदि को सम्बोधित करके बड़े झूठ के पांच प्रकार बतलाए । जैसे१. कन्यालीक
___ कन्या का सम्बन्ध करने को झूठ बोलना, कन्या के दोषों को छिपाकर अच्छा बताना, वय में छोटी को बडी और बड़ी को छोटी कहना आदि । इस प्रकार यदि वैवाहिक सम्बन्ध किया तो झूठ बोलने का पातक लगेगा तथा कन्या भी अपने ससुराल में सुखमय जीवन नहीं व्यतीत कर सकेगी । कन्या की तरह बच्चे के लिए भी समझना चाहिए । लोग स्वार्थवश दूसरे की हानि का भी विचार नहीं करते । एक भाई ने किसी जानकार से पूछा कि यह लड़का कैसा है ? अपनी बाई का सम्बन्ध करना है । उसने कहा-पढ़ा-लिखा होशियार तो है मगर मृगी का दौरा आता है । बेचारा उम्मीदवार धरा रह गया । यह बड़ा झूठ है । नौकरी आदि के लिये भी बात करने का अवसर आ सकता है । श्रावक का कर्तव्य है कि बात चीत में दूसरे को धोखे में न डाले और किसी का अहित हो, ऐसा भी न कहे । २. गवालीक
___ गाय, भैंस आदि पशु के सम्बन्ध में झूठ बोलना भी बड़ा असत्य है.। दुधारु गाय-भैंस को खराब या खराब को दुधारु बताना, धोखा देकर गाय, भैंस, बैल घोड़ा आदि जानवरों को दूसरे के गले लगा देना आदि पशु-पक्षियों सम्बन्धी झूठ है ।