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आध्यात्मिक आलोक
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सातों साध्वियां आचार्य भद्रबाहु की सेवा में पहुँची जिससे अपने भ्राता स्थूलभद्र के दर्शन कर सकें।
बन्धुओ ! जैसे इन सन्तगणों का जीवन ज्ञान के अपूर्व आलोक से जगमगा उठा, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन को आलोकमय बनाना है । ऐसा करने पर ही उभयलोक में कल्याण होगा।