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आध्यात्मिक आलोक
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भी हानि होती है, उसी प्रकार अपात्र को ज्ञान देने से उसका और दूसरों का अकल्याण होता है ।' प्राचीन काल में इस बात का बहुत विचार किया जाता था ।
आचार्य भद्रबाहु इस विषय में क्या निर्णय करते हैं, यह यथावसर विदित होगा | अगर हम भी पात्रता प्राप्त कर गरिमामय ज्ञान प्राप्त करने की साधना करेंगे तो इहलोक और परलोक में हमारा परम कल्याण होगा ।