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आध्यात्मिक आलोक एक दिन ऐसा आएगा कि ऋण के भार से बुरी तरह दब जाएगा और उत्तराधिकारियों के लिये अभिशाप बन कर. जाएगा । कर्ज लेना क्या बुरा है, कर्ज तो सरकार भी लेती है, ऐसा समझने वाले की समझ उसी के लिए घातक है।
हिंसा करना भी कर्ज लेने के समान बुरा है । आर्थिक ऋण से मृत्यु छुटकारा दिला देती है किन्तु हिंसा का ऋण मृत्यु होने पर भी नहीं छूटता । वह परलोक में भी साथ रहता है और अनेकानेक भवों में बड़ी यातनाएँ सहने पर ही उससे छुटकारा मिलता है।
बिना कर्ज लिए अपना काम चलाने वाले कम मिलेंगे, किन्तु यदि वे कर्ज की बुराई को बुराई समझते हैं तो वह बुराई भी उतनी भयानक नहीं होती । साधक हिंसा रूपी कर्ज को बुरा समझता है और सदैव हिंसा से बचने का प्रयास करता है। ऐसा व्यक्ति शुद्ध दृष्टि वाला कहा जाएगा ।
आनन्द इसी प्रकार की शुद्ध दृष्टि से सम्पन्न सद्गृहस्थ था । उसने महाप्रभु महावीर की सेवा में उपस्थित होकर पांच अणुव्रत और सात शिक्षाव्रत तथा गुण व्रत अंगीकार किए | उसने भगवान की पावन देशना को श्रवण करने और उसकी अनुमोदना करने में ही अपनी कृतार्थता नहीं समझी, वरन् अपनी शक्ति और परिस्थिति के अनुसार उसपर आचरण भी किया । अनुमोदन के साथ यदि आचरण न किया जाय तो पाप का भार कैसे कम होगा ? कर्मबन्ध कैसे ढीला होगा ? उसने व्रत ग्रहण करके भगवान के प्रति अपनी गाढ़ी निष्ठा प्रकट की।
आराध्य देव और अपने गुरु के प्रति अनन्य श्रद्धा होनी चाहिए । यदि आराध्य देव के प्रति श्रद्धा न हुई तो वह पापों का त्याग नहीं कर सकेगा । अलबत्ता मनुष्य को अपने निष्पक्ष विवेक से देव और गुरु के वास्तविक स्वरूप को समझ लेना चाहिए और निश्चय कर लेना चाहिए । तत्पश्चात् अपने आध्यात्मिक जीवन की नौका उनके हाथों में सौंप देनी चाहिये । ऐसा किये बिना कम से कम प्रारम्भिक दशा में तो काम नहीं चल सकता | गुरु मार्ग प्रदर्शक है । जिसने मुक्ति के मार्ग को जान लिया है, जो उस मार्ग पर चल चुका है, उस मार्ग की कठिनाइयों से परिचित है, उसकी सहायता लेकर चलने वाला नवीन साधक सरलता से अपनी यात्रा में आगे बढ़ सकता है । वह अनेक प्रकार की बाधाओं से बच सकता है और सही मार्ग पर चल कर अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है।
आनन्द अत्यन्त भाग्यवान था । उसे साक्षात् भगवान् ही गुरु के रूप में प्राप्त हुए थे । वह कहता है-"मैंने समझ लिया है कि देव कौन है ? जिन्हें परिपूर्ण ज्ञान और वीतरागता प्राप्त है, जो समस्त आन्तरिक विकारों से मुक्त हो चुके हैं, जो