Book Title: Aadhyatmik Aalok Part 01 and 02
Author(s): Hastimal Maharaj, Shashikant Jha
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 582
________________ 574 आध्यात्मिक आलोक देखे हैं और उन्हें देख कर मनुष्यों ने अपने मन मैले किये हैं। उनके फलस्वरूप संसार में भटकना पड़ा है । अब यदि जन्म-मरण के बन्धनों से छुटकारा पाना है तो मुक्ति का मेला कर लो। कबीरदासजी ने भाव की भंग, मरम की काली मिर्च डाल कर पी थी और अपने हृदय में प्रेम की लालिमा उत्पन्न की थी। आनन्द आदि साधकों ने बन्धन काटने वाले मेले के स्वरूप को समझा । उन्होंने नियम-संयम का नशा लिया । इससे उनका जीवन आनन्दमय बन गया । जीवन के वास्तविक आनन्द को प्राप्त करने के लिए आनन्द के समान ही साधना को अपनाना होगा । इसी में मानव का स्थायी कल्याण है ।

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