________________
458
आध्यात्मिक आलोक पेटोमेक्स और बिजली का बल्व दूसरे दीपकों को प्रकाशित करने में समर्थ, नहीं होता । दूसरे दीपकों को तो टिमटिमाता मन्द प्रकाश वाला दीपक ही जला सकता है । टार्च, बल्ब आदि में यह क्षमता नहीं है कि वे दूसरे को प्रकाशित कर सकें । दीपक में ही यह विशेषता है कि उससे हजारों और लाखों दीपक जलाये जा सकते हैं । ज्ञानी को प्रदीप की उपमा दी गई है, क्योंकि उसमें भी दीपक की खूबी मौजूद रहती है । वह अनेकों को ज्ञान की ज्योति से जाज्वल्यमान कर सकता है।
केवलज्ञान सभी ज्ञानों में श्रेष्ठ है, परिपूर्ण है, अनन्त है, अनावरण है, मगर वह दूसरों को प्रतिबुद्ध नहीं कर सकता । केवली का वचनयोग ही दूसरों को ज्ञान का प्रकाश देने में निमित्त होता है | श्रुतज्ञान अमूक और शेष ज्ञान मुक है । श्रुतज्ञान के माध्यम से एक साधक दूसरों के अन्तःकरण को जागृत कर सकता है। यह श्रुतज्ञान की अन्य ज्ञानों से विशिष्टता है ।
ज्ञान की सूक्ष्मता की दृष्टि से केवल ज्ञान सबसे अधिक सूक्ष्म है क्योंकि उसमें पूर्णता है, मगर केवलज्ञान रूपी सूर्य बहुत तेज होने पर भी प्रत्येक स्थान का अन्धेरा दूर नहीं कर सकता | कोने-कोने का अन्धेरा दूर करने के लिए तो दीपक काम आता है । श्रुतज्ञान दीपक के समान है। -
जब मानव के मानस में ज्ञान का प्रदीप जाग उठता है तो कुटेव और अज्ञानता की स्थिति का अन्त हो जाता है । सत्पुरुषों ने ज्ञान-प्रदीप जलाया है ।
भगवान् महावीर के ज्ञान का भास्कर ४२ वर्ष की अवस्था में उदित. हो गया था। उसके उदित होने पर उनकी आत्मा अलौकिक एवं असाधारण आलोक से विभूषित हो गई । बारह वर्षों तक वे इसके लिए पुरुषार्थ करते रहे ।
केवलज्ञान प्राप्त होने के पश्चात् भगवान् ने भिक्षुकों से लेकर राजाओं तक के अज्ञान के निवारण का सफल प्रयत्न किया । आपका प्रेरक सन्देश पाकर नौ लिच्छवी और नौ मल्ली राजा धर्म श्रद्धालु बने । तात्कालिक गणतन्त्र के अधिपति सम्राट् चेटक का भी अज्ञान-मोह दूर हुआ ।
संसार के विशाल वैभव. में रह कर भी मनुष्य के लिए परम साधना आवश्यक है । मनुष्य को समझना चाहिए कि सांसारिक वैभव का सम्बन्ध शरीर के साथ है, सिर्फ एक भव तक सीमित है। शरीर त्यागने के पश्चात् जगत् का बड़े से बड़ा वैभव भी बिछुड़ जाता है । अगले जन्म में. वह काम नहीं आता । उससे आत्मा का किचित भी उपकार नहीं होता. आत्मोपकार अथवा आत्महित के लिए तो वही साधना उपयोगी है जिससे आत्मिक विभूति की वृद्धि होती है । इस तथ्य को