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आध्यात्मिक आलोक होगा, आत्मा का किचित् भी श्रेय न होगा | आत्मा के मंगल के लिए सम्यग्ज्ञान
और सदाचार को जीवन में प्रश्रय देना चाहिए । . भगवान् महावीर की देशना को श्रवण कर श्रोता कृतकृत्य हो गए।
इस पर्व को हमें मंगलमय स्वरूप प्रदान करना है, अन्यथा काल तो आता और जाता रहता है । वह टिककर रहने वाला नहीं । कौन जानता है कि अगली दीपावली मनाने के लिए कौन रहेगा और कौन नहीं ? अतएव आज आपको जो सुयोग प्राप्त है, उसका अधिक से अधिक लाभ उठाइए । अन्तःकरण में पावन ज्ञान की प्रदीपमाला आलोकित कीजिए । अनन्त ज्योतिर्मय आत्मा की आवृत्त ज्योति को प्रकट कीजिए । ऐसा करने से ही इस पर्व की आराधना सफल होगी ।