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आध्यात्मिक आलोक हटा देता है । इसी प्रकार व्रत मानों स्वच्छ चादर है । साधक यही प्रयत्न करता है कि व्रत रूपी चादर में मल न लगने पाए। फिर भी विवशता, चंचलता या प्रमाद के कारण मल ( अतिचार ) लग जाय तो उसे साफ कर लेना चाहिए अर्थात् आलोचना आदि करके अतिचार का शोधन कर लेना चाहिए।
इसके लिए व्रत के अतिचारों को जानना आवश्यक है । जो मल के स्वरूप को ही नहीं समझेगा वह उसे कैसे साफ करेगा ? अनर्थदण्डविरमण व्रत के अतिचारों में से पहले अतिधार का स्वरूप समझाया जा चुका है । आगे के अतिचारों पर प्रकाश डालना है। उनमें से दूसरा अतिचार कौत्कुच्य है।
(२) कौत्कुच्य-कुछ व्यक्तियों में विदूषकपन की वृत्ति देखी जाती है । वे शरीर के अंगों से ऐसी चेष्टा करते हैं जिससे दूसरे को हँसी आ जाय | यह भांडवृत्ति है । इन विदूषकों के क्रिया-कलाप को देख कर लोग प्रसन्न होते हैं और कुतुहलवश जमा हो जाते हैं । भांडचेष्टा करने वाला अपनी इन चेष्टाओं द्वारा अर्थ का उपार्जन करता है। किन्तु साधक को ऐसी चेष्टाएं नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कामराग, हिंसा असत्य आदि दोषों को प्रोत्साहन मिलता है। अतएव साधक शरीर की कुचेष्टा से अथवा वाणी के द्वारा अनर्थदण्ड न करे ।
६) मोहरिए (मौखर्य)-आवश्यकता से अधिक बोलना, वृथा बकवास करना, सदैव बड़बड़ाते रहना मौखर्य कहलाता है।
वाणी मुख की शोभा है । वाणी से मनुष्य की सज्जनता एवं दुर्जनता का अनुमान होता है । उसके हृदयगत भाव वाणी के द्वारा अभिव्यक्त होते हैं । अतएव वाणी को मनुष्य के व्यक्तित्व की कसौटी कहा जा सकता है । इतना ही नहीं, कभी-कभी उसकी बदौलत घोर अनर्थ भी होते देखे जाते हैं । संभल कर वाणी का प्रयोग न करने से लड़ाई-झगड़े तक हो जाते हैं । एक गलत शब्द के प्रयोग से बना बनाया काम बिगड़ जाता है और एक सुविचारित वाक्य से बिगड़ा काम बन सकता है। विचारपूर्वक न बोलने से मनुष्य अपने शत्रु बना लेता है । इसीलिए कहा जाता है कि पहले तोलो, फिर बोलो । चाहे ज्ञानी हो या अज्ञानी, वाणी का उपयोग अगर सोच विचार कर न करे तो परिणाम अनिष्टकर निकलता है । कहते हैं-द्रौपदी के एक अविचारित एवं आक्षेपजनक वचन की बदौलत महाभारत जैसा भीषण युद्ध हुआ जिसमें लाखों मनुष्य मारे गए और भारतवर्ष की इतनी शक्ति विनष्ट हुई कि उसकी कमर ही टूट गई ।
__ आग पर हाथ रखा जाय तो चाहे पण्डित हो या मूर्ख, दोनों का ही हाथ जलेगा । आग पण्डित और मूर्ख का भेद नहीं जानती । उसके स्पर्श का फल ।