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आध्यात्मिक आलोक ठोकर खाने की संभावना नहीं रहती । वह अनमोल रत्न है विवेक ! यदि विवेक से काम लिया जाय तो पाप के भार से भारी नहीं बनना पड़ेगा । यही नहीं, विवेक के प्रकाश में इहलोक सम्बन्धी जीवनयात्रा भी सानन्द और सकुशल सम्पन्न होती है । अतएव मनुष्य का कर्तव्य है कि वह सदैव विवेक की दिव्य ज्योति को जगमगाता रहे, उसे बढ़ाता रहे और उसी के प्रकाश में चले । विवेक सुख और शान्ति की एक मात्र कुंजी है । यही मानव की विशेषता है । विविध प्रकार की जीवसृष्टि में मनुष्य को जो सर्वोच्च पद प्राप्त है उसका एकमात्र प्रधान कारण विवेक है । विवेक ही मानव की शोभा है।
आज भारत अपनी मूल दृष्टि और संस्कृति से विचलित होता जा रहा है। ' वह ज्ञानोपासना की अपेक्षा लक्ष्मी पूजा को अधिक महत्त्व प्रदान करने लगा है। समाज में लक्ष्मी को इतना अधिक महत्व प्राप्त हो गया है कि ज्ञान, शील, सदाचार आदि सभी सद्गुण उसके समक्ष फीके पड़ गए हैं । लक्ष्मी को उचित से अधिक समादर लोगों ने दे दिया है, उससे व्यक्ति यह सोचता है कि लक्ष्मी न होगी तो हमें कोई महत्व नहीं मिलेगा । इस प्रकार की विचारधारा से ज्ञान का स्थान गौण हो गया
है।
लक्ष्मी दो प्रकार की होती है-आन्तरिक और बाह्य । आन्तरिक लक्ष्मी आत्मिक सम्पत्ति है और बाह्य लक्ष्मी भौतिक होती है | सच्ची और सदा साथ देने वाली लक्ष्मी आध्यात्मिक विभति ही हो सकती है । मगर आज की जनता उसे भूलकर बाह्य लक्ष्मी की पूजा में ही अपना कल्याण समझ रही है । इस प्रकार एकान्त बहिरंग दृष्टि के कारण अनेक अवांछनीय परिस्थितियां खड़ी हो गई हैं।
बहिर्दृष्टि के कारण कभी-कभी उत्सव मंगल के बदले अमंगल का कारण बन जाता है । उत्सव के जोश में आकर लाखों जीवों की हत्या करना मंगल में दंगल करना है-अमंगल को आमन्त्रण देने के समान है । हिंसाकारी साधनों को अपनाने से मंगल अमंगल बन जाता है । फटाके आदि जलाने से लोग जल मरते हैं, मकानों
और दुकानों में आग लग जाती है । कहीं कहीं तो इतनी उद्दाम प्रवृत्तियां बढ़ जाती हैं कि उन्हें दबाने के लिए पुलिस का प्रबन्ध करना पड़ता है। पर्व के पीछे रही हुई भावना को जो भूल जाते हैं वे मानों आत्मा को भूलकर शरीर की पूजा करते हैं। इस अज्ञान एवं भ्रान्त धारणा के कारण व्यक्तिगत तथा सामाजिक हानियां होती हैं।
पढ़ना, पढ़ाना, सत्साहित्य का निर्माण करना, उसका संवर्द्धन करना और . प्रचार करना आदि सदकार्य ज्ञान की पूजा है। यह आन्तरिक लक्ष्मी की पूजा है।