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आध्यात्मिक आलोक किन उपायों से धनोपार्जन न करे, इस बात का विवेक रखकर श्रावकोचित उपायों का
अवलम्बन करे और जो उपाय अनैतिक हैं, जो महारंभ रूप हैं, जिनमें महान हिंसा होती है और जो लोकनिन्दित हैं, ऐसे उपायों से धनोपार्जन न करे । भगवान महावीर ने आनन्द को बतलाया कि जिन उपायों से विशेष कर्म बन्ध और हिंसा हो वे त्याज्य हैं । साथ ही वे पदार्थ भी हेय हैं जो कर्म बन्ध और हिंसा के हेतु हैं । शराब, सखिया, तमाखू आदि पदार्थ त्याज्य पदार्थों में सर्वप्रथम गणना करने योग्य हैं। पेटोल और मिट्टी का तेल भी विष तुल्य ही है। ऐसे घातक पदार्थों का व्यापार करना निषिद्ध है।
अभी कुछ दिन पूर्व समाचार मिला था कि किसी जगह जमीन में पेट्रोल गिर गया । उस पर बीड़ी का जलता हुआ टुकड़ा पड़ जाने से कइयों को हानि पहुँची । पेट्रोल या मिट्टी का तेल छिड़क कर आत्म-हत्या करने के समाचार तो अखबारों में छपते ही रहते हैं । इस प्रकार आज संखिया और शराब के कई भाई-बन्धु पैदा हो गये हैं। जिसने अपनी अभिलाषा को सीमित कर लिया है और जो संयमपूर्वक जीवन निभाना चाहता है, अल्प पाप से कुटुम्ब का पालन-पोषण करना चाहता है, वह ऐसे निषिद्ध कर्मों और पदार्थों को नहीं अपनाएगा । वह तो धर्म और नीति के साथ ही अपनी आजीविका उपार्जन कर लेगा । किन्तु जिसकी इच्छाएं सीमित नहीं हैं, स्वच्छन्द और निरंकुश हैं, जो नयी-नयी कोठियाँ और बंगले बनवाने के स्वप्न देखता रहता है, उसका इन निषिद्ध कर्मों से बचना कठिन है।
वास्तव में श्रावक व्रत ग्रहण करने से जीवन का कोई कार्य नहीं रुकता फिर भी लोग व्रतों से डरते हैं । जब व्रतों की जानकारी रखने वाला भी व्रत ग्रहण से भयभीत होता है तो जो व्रतों के स्वरूप को समीचीन रूप से नहीं जानता वह भयभीत हो तो क्या आश्चर्य है! .
लाखों व्यक्ति वीतरागों का उपदेश सुनते हैं मगर उनमें से सैकड़ों भी व्रतधारी नहीं बन पाये, इसका एक प्रधान कारण भय की भ्रमपूर्ण कल्पना ही है।
आनन्द श्रावक ने व्रत धारण किये और पन्द्रह कर्मादानों का त्याग किया, फिर भी उसका संसार-व्यवहार बन्द नहीं हुआ। इस तथ्य को समझकर गृहस्थों को श्रावक के व्रतों से डरना नहीं चाहिये । इन कर्मादानों में से विष वाणिज्य का निरूपण किया जा चुका है। अब केश वाणिज्य के विषय में प्रकाश डाला जाता
(१०) केस वाणिज्जे ( केशवाणिज्य )-'केशवाणिज्य' शब्द से केशों का व्यापार करना जान पड़ता है परन्तु इसका वास्तविक अर्थ है-केश वाले प्राणियों का