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आध्यात्मिक आलोक जाय । पावन जीवन की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि पाप की मलिन वृत्तियों से सदैव अपने को बचाया जाय । देखना, आज तेरे जीवन में जो निर्मलता और भव्यता आई है, वह वासना के विष से विषाक्त न बन जाय । तेरे जीवन में महामंगल का जो द्वार खुल गया है वह बन्द न हो जाय । अन्तःकरण में जो पवित्र प्रकाश उदित हुआ है, वह मोह के काले-काले बादलों से आच्छादित न हो जाय । आत्म-कल्याण की ओर बढ़ाया हुआ कदम पीछे न हट जाए या वहीं का वहीं न रह जाय, इस बात के लिए सदा सावधान रहना । कल्याण के पथ पर प्रतिपल अग्रसर होते जाना ही जीवन को सफल बनाने का उपाय है।"
"जब तक रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा स्वर्ण शुद्ध नहीं किया जाता, तब तक वह अशुद्ध रहता है। खान से निकले सोने में वह चमक नहीं होती उस समय उसमें मैल मिला रहता है । कर्म के सघन आवरण से तेरी आत्मा की कान्ति भी फीकी पड़ी हुई थी, अब वह उज्ज्वल हो गई है । वह पुनः फीकी न पड़ जाय, यह ध्यान में रखना । विकास की गति अवरुद्ध न हो जाय, निरन्तर जीवन प्रगति की और बढ़ता जाय, यह स्मरण रखना ।"
मुनि ने कोषा से फिर कहा-"मंगलमयि ! अतीत को भूल जाना और यह मानना कि यही तेरे जीवन का शुभ प्रभात है। तेरे जीवन की अन्धकारमयो विकराल रात्रि समाप्त हो गई है, अब सुनहरा प्रभात उदित हुआ है । प्रभात का यह पवित्र प्रकाश निरन्तर प्रखर होता रहे, तेरा जीवन पवित्रता की ओर बढ़ता रहे और निर्मल से निर्मलतर बनता जाय, यही मेरी मंगलकामना है । पुण्य के उदय से मिली हुई यह उत्तम सामग्री - मानव-जीवन, परिपूर्ण इन्द्रियां, नीरोगता, सत्समागम, धर्मश्रवण का सुयोग
आदि - निरर्थक न हो जाय । यह सामग्री धर्म की आराधना में लगे और आत्मा में निर्मल भाव को जागृत करे तो ही इसकी सार्थकता है।"
___ मुनि की भावपूर्ण वचनावली श्रवण कर रूपकोषा का हृदय सद्भावना से परिपूर्ण हो गया । उसका अन्तर अधिक साहस एवं सत्संकल्प से भर गया । उसने अतिशय नम्रता और दृढ़ता से कहा - "योगिराज ! मैं अपने को हीरा-कणी के समान बनाये रखूगी । हीराकणी कीचड़ में भी अपनी कान्ति नहीं छोड़ती । कीचड़ की मलिनता उसमें प्रवेश नहीं कर सकती । मैं गृहस्थी में रहकर भी पाप की कालिमा से बची रहने का प्रयास करूंगी और जिन व्रतों को अंगीकार किया है, उन्हें अखंडित
रखूगी । आप मेरे विषय में निश्चिन्त रहें । आप जैसे योगी का समागम पाकर मैं ... धन्य हो गई हूँ। आपकी प्रभावपूर्ण वाणी को श्रवण करने से मेरा अज्ञानान्धकार
ली हो गया है । हृदय में पवित्र ज्योति आलोकित हुई है। विश्वास रखिए