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आध्यात्मिक आलोक ।
157 पर लागू हैं, मगर वन्य जातियां समाज नियम तथा धर्म-नियम से करीब-करीब शून्य हैं। अतः उनका जीवन हल्का माना जाता है। ग्रामवासी से नगरवासी कुछ सुधरे व सभ्य माने जाते हैं । नगरवासियों का नैतिक, भौतिक और आध्यात्मिक जीवन विकसित है । उनके जीवन में समाज नीति के अतिरिक्त राजनीति का सम्बन्ध है । अतः प्रमाणित होता है कि मनुष्य जीवन में नियमों के पालन का महत्व है । पशुखाद्य-अखाद्य, पेय-अपेय, गम्य-अगम्य और जीव-अजीव का भेद नहीं जानता । धर्माचरण की तो पशु-जीवन में चर्चा ही व्यर्थ है । वह तो आकाश कुसुम की तरह असंभव है।
___ कई मनुष्य तरंगित होकर सोचते हैं कि नियमों से परतन्त्रता आती है । जीवन की स्वच्छन्द सरिता-सी प्रवृत्ति में रुकावट या बाधा उपस्थित होती है । जीवन की निसर्गता में कृत्रिमता का समावेश हो जाता है और वह बोझिल बन जाता है मगर ऐसा सोचना भूल है । नियम बन्धन नहीं बन्धन वे हैं जो दूसरों के द्वारा लादे जाते हैं किन्तु नियम मनुष्य स्वयं बनाता है जो पशुता और मानवता का अन्तर प्रगट करते हैं । परकृत बन्धन छोड़ने लायक हैं, परन्तु स्वयं के लिए बनाया गया नियम हितकर और अत्याज्य होता है । घर में चारों तरफ घेरा होने पर भी हम बन्दी जीवन का अनुभव नहीं करते । यदि घर के सभी दरवाजे खुले रखें, तो चोर-पशु
और जीव-जन्तु भीतर घुसेगे, अतः घर के सभी दरवाजे अपनी भलाई के लिए बन्द रखे जाते हैं । फिर भी यह स्वेच्छा से होने के कारण उसे बन्धन नहीं माना जाता। जेल के दरवाजे बन्द करने से हम बन्दीपन का अनुभव करते हैं, किन्तु घर का दरवाजा बन्द होने पर सुरक्षा का ।
ऐसे ही उन्मत्त दिमाग वाला नीति-नियम और अध्यात्म-नियम को बन्धन समझेगा, परन्तु विचारवान उन्हें मुक्त जीवन की निशानी मानेगा । यदि आध्यात्मिकता न रहे, तो मानवता दानवता का रूप धारण कर लेगी । दानवता से मानवता की ओर जाने का मार्गनियमन का ही है, अतः बुद्धिमान मानव धर्मनीति और राजनीति का पालन व प्रसारण करता है, क्योंकि उससे व्यक्तिगत तथा सामाजिक सुरक्षा है । अंतरंग
जीवन को बदलने का काम धर्म का है । राजनीति या शासन केवल तन को , . नियन्त्रित कर वृत्ति बदलना चाहता है परन्तु अपराधियों को यातना देते-देते युग बीत गर उनकी वृत्ति नहीं बदली । दण्ड के द्वारा तन को मोड़ा गया, मन को नहीं । मन को बदलने से ही वृत्तियां सुधरती और मानव कुकर्म करने से बचता है । अतः धर्मनीति का महत्व और उसका जन-जन में उपयोग है।