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आध्यात्मिक आलोक
225 का कारण नहीं; वरन् उसमें ज्ञान-दर्शन, चारित्र के यदि साधना-बल है, तो साधु संत भी उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं।
ज्ञान वृद्धि के लिये प्रवचन सुनने वाले श्रोताओं को लिखने की आदत रखनी चाहिये। इससे मनन का अवसर मिलेगा और कई बातें आसानी से याद रखी जा सकेंगी। आपको अनेकों सत्पुरुषों के उपदेश श्रवण का अवसर मिलता है, और उसमें कई बातें तो इतनी असरकारक होती हैं कि जिनके स्मरण से जीवन की दिशा बदली जा सकती है, और आत्मा को ऊंचा उठाया जा सकता है, किन्तु लिपिबद्ध नहीं होने से वह थोड़े समय में ही मस्तिष्क से निकल जाता है । विदेशियों में नोट कर लेने की आदत है, अतएव वे देशाटन और विद्वानों के संग से भी बहुत-सी उपादेय बातें ग्रहण कर लेते हैं । तत्व श्रुति के विचारों को यदि नोट करने की पद्धति रखी जाये तो इससे आगे लाभ होगा।
कहने का अभिप्राय यह है कि गृहस्थी भी यदि ज्ञान का धनी है, तो वह साधु संत के लिये आकर्षण का केन्द्र बन जाता है । महाराज जनक गहन आत्म-चिन्तक तथा अध्यात्म-प्रेमी थे। अत: बड़े-बड़े ऋषि मुनि उनके यहाँ आया करते थे और वहाँ से कुछ न कुछ आध्यात्मिक ज्ञान लेकर लौटते थे।
एक बार की बात है, राजा जनक की सभा में बड़े बड़े ऋषि मुनि आये हुए थे। वहाँ पर एक कुरूप ब्राह्मण भी आया और पास में पड़े हुए एक खाली आसन पर बैठ गया। आस-पास के विद्वान सोचने लगे कि हंसों की सभा में यह कौआ किधर से आ बैठा है ? कतिपय लोगों ने समझा कि प्रबन्ध व्यवस्था ठीक नहीं होने से ही यह प्रवेश पा गया है। आने वाला जन्म से ब्राह्मण तन होकर भी शरीर से बहुत बांका टेढ़ा था। अतः सब उसको तिरस्कार की दृष्टि से देखने लगे। जब महाराज जनक आत्म-ज्ञान की चर्चा के लिये सभा में उपस्थित हुए, तब सहसा उस कुरूप ब्राह्मण ने उठकर पूछा-"महाराज ! मैंने बहुत दिनों से सुन रखा था कि जनक की सभा में बड़े-बड़े आत्मज्ञानी पुरुष आते हैं, परन्तु आज साक्षात् देखने पर वह शंका हुई कि यह आत्मज्ञानी विद्वानों की सभा है या चर्मकारों की संसद है? क्योंकि चमड़े का रंग, रूप और उसका मोटापन, पतलापन देखना चमारों का काम है।" यह सुनकर सबके सब एक-दूसरे की अगल बगल झांकते और कहते कि यह कौन है ? जो बड़ी मर्म की बात कह रहा है कि यदि शरीर को देखकर आसन दिया जाये तो आत्म-ज्ञानियों की सभा कैसी ? ब्राह्मण के सवाल और तर्क को सुनकर सब पण्डित चौकने और लज्जित हो गये। परिचय पूछने पर ब्राह्मण कुमार ने कहा कि-"मेरा नाम क्या बताऊं? मेरा नाम तो साफ है, शरीर ही अपना नाम बता