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आध्यात्मिक करना, यह द्रव्य-दया है । राग-द्वेष उत्पन्न न होना भावदया है । जब अन्तःकरण में राग-द्वेष का उद्भव नहीं होता, तव कषाय के विषैले अंकुर नष्ट हो जाते हैं अर्थात् जब हृदय भाव-दया से परिपूर्ण हो जाता है तब द्रव्य-दया का सहज प्रादुर्भाव होता है। किन्तु स्मरण रखना चाहिए कि जीवन को परममंगल की ओर अग्रसर करने के लिए केवल द्रव्यदया पर्याप्त नहीं है, भाव-दया भी चाहिए । भाव-दया के बिना जो द्रव्य-दया होती है, वह प्राणवान् नहीं होती ।
रागद्वेष भावहिंसा है । भावहिंसा करने वाला किसी अन्य का घात करे या न करे, आत्मघात तो करता ही है-उसके आत्मिक गुणों का घात होता ही है और यही सबसे बड़ा आत्मघात है ।
साधकों के सामर्थ्य और उनको विभिन्न परिस्थिति की दृष्टि से धर्म के दो विभाग किये गये हैं-८) श्रमण धर्म और (२) श्रावक धर्म 1 श्रमण धर्म के भी अनेक भेद किये गये हैं । पर वह मूल में एक है । साधक आसानी से अपनी साधना चला सके, इस उद्देश्य से चारित्र के पांच भेद कर दिये गये हैं, यद्यपि इन सब का लक्ष्य एक ही है और उनमें कोई मूलभूत पार्थक्य नहीं है । भेद इसलिये हैं कि सभी साधकों का शारीरिक संहनन, मनोवल और संस्कार एक से नहीं होते, अतएव उनकी साधना का तरीका भी एक नहीं हो सकता । यही कारण है कि चारित्र और तपश्चर्या के अनेक रूप हमारे आगमों में प्रतिपादित किये गये हैं। इनमें से जिस साधक की जैसी शक्ति और रुचि हो, उसी का अवलम्वन करके वह आत्म-कल्याण के पथ पर अग्रसर हो सकता है । मगर अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह प्रत्येक साधक के लिए अनिवार्य हैं । इनको देशतः स्वीकार किये बिना श्रावकधर्म का और पूर्णरूपेण स्वीकार किये बिना श्रमणधर्म का पालन नहीं हो सकता। ये पांच व्रत चारित्र धर्म रूपी सौध (भवन) के पाये हैं, मूल आधार हैं । आचारात्मक धर्म का प्रारम्भ इन्हीं व्रतों से होता है ।
इनमें से अहिंसा और सत्य व्रत के अतिचारों की चर्चा की जा चुकी है। अस्तेय व्रत के भी तीन अतिचारों का निरूपण हो चुका है । यहां शेष दो अतिचारों पर विचार करना है।
(४) हीनाधिक मानोन्मान- वस्तु के आदान-प्रदान में तोलनेनापने की आवश्यकता पड़ती है। अनेक व्यापारी लोभ के वशीभूत होकर तोलने और नापने के साधन हल्के या भारी रखते हैं। देते समय हीन वाटों से तोलते और लेते
समय अधिक बाटों से । इस प्रकार का तोल-माप कूट अर्थात् झूठा तोल माप - कहलाता है । यह एक प्रकार की चोरी है । श्रावक को तोलने और मापने में